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‘महिला उत्थान’ मुद्दे पर संगोष्ठी से घर लौटते  ही कुमुद से उसके पति ने कहा... “अभी थोड़ी देर पहले ही दीपा आई थी मिठाई लेकर वो  बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुई है  कंप्यूटर कोर्स तो उसका पूरा हो ही गया था,तुम्हारी प्रेरणा और  मार्ग दर्शन से कितना कुछ कर लिया इस लड़की ने हमारे घर में काम करते-करते....  अब सोचता हूँ अपने ऑफिस में एक वेकेंसी निकली है इसको रखवा दूँ “

 कुमुद कुछ सोच कर बोली”अजी इतनी भी क्या जल्दी, वैसे भी सोचो इतनी अच्छी काम वाली फिर कहाँ मिलेगी, फिर तो ये काम करेगी नहीं”!!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 1:50pm

आ० डॉ विजय शंकर जी ,आपसे अनुमोदन पाकर लघु कथा सार्थक हुई आपका हृदय से आभार |

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 22, 2014 at 12:19pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी ,
सही लिखा आपने , समारोहों में से मन के विकार और संकीर्णता थोड़े ही कहीं चले जाते हैं , इंसान को स्वयं उनसे मुक्त होना पड़ता है।
बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 11:33am

अमन कुमार जी, आपने सही विश्लेषण किया इसी तरह की मानसिकता ज्यादातर लोगों में होती है|लघुकथा के मर्म ने आपको प्रभावित किया मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका |  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 11:30am

आ० सविता मिश्रा जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हृदय से आभारी हूँ |

Comment by aman kumar on July 22, 2014 at 10:59am

दुसरो का भला करने की इच्चा में अपना कुछ नुकसान न हो , बस नाम ही नाम हो .......

सच्चाई है आपकी कहानी में 

Comment by savitamishra on July 22, 2014 at 10:57am

बहुत ही बढ़िया लघुकथा..इंसानी फितरत ही है ऐसी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 21, 2014 at 10:01pm

विनय कुमार जी ,आपको लघु कथा अच्छी लगी बहुत- बहुत आभार आपका| 

Comment by विनय कुमार on July 21, 2014 at 9:43pm

बहुत अच्छी रचना , ऐसी मानसिकता बहुत मिलती है..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 21, 2014 at 2:26pm

शुभ्रांशु जी ,लघु कथा आपकी पारखी समीक्षा से गुजरी मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 21, 2014 at 2:24pm

जितेन्द्र भैया ,लघुकथा के अनुमोदन पर अपने विचार रखे बहुत अच्छा लगा | आपने सच कहा बहुत उदाहरण मिल जायेंगे इस दोयम दर्जे वाली मानसिकता के |आपका हार्दिक आभार. 

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