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अतुकांत कविता

सोचा था आईने की तरह
साफ़ रखूँगी अपना चेहरा
पर कुछ तो है जो छिपा जाती हूँ
यूँ भाव चेहरे के बदल लेती हूँ
कि कहीं प्रतीयमान न हो जाये|

बोलती थी कभी बेधड़क हो
कुछ तो है जो किसी कोने में
मौनव्रत रख बैठ जाती हूँ
कि कही कुछ प्रतीप न हो जाये|

आँखों में भी दिखता था कभी
दूसरे की गलत बातो का प्रतिकार
पर किसी का तो डर है जो
अब आँखों को झुका लेती हूँ
कि कही कोई प्रतिलोम ना हो जाये|

किसी भी घटना पर कुछ कह ना दूँ
इसी कारण खुद को परे कर लेती हूँ
सुनने की आदत नहीं है अतः
झगड़े से खुद को ही परे रख
अपने उद्वेलित भाव छुपा लेती हूँ
कि कही कोई प्रतिवाद ना हो जाये|

किसी भी अंगप्रत्यंग से
प्रतिबोध झलक ना जाये
इसी डर से अब मैं अक्सर
लोगो से कतराने लगी हूँ
भीड़ से परे रखती हूँ खुद को
कि कोई कही प्रतिघाती न हो जाये|| 

सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 2, 2014 at 3:01pm

कई बार ज़रूरी हो जाता है कि न दिखे चेहरा अंतर का आईना....

ऐसी ही परिस्थितियों को शब्दबद्ध करती सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई आ० सावित्री मिश्रा जी 

Comment by savitamishra on August 2, 2014 at 2:21pm

जिंतेंद्र भाई और गिरिराज भैया हार्दिक आभार आप दोनों का दिल से

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 2, 2014 at 11:54am

 मन के भाव को, बहुत सुन्दरता से बयां करती रचना पर आपको हार्दिक बधाई आदरणीया सविता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2014 at 10:05am

सुन्दर रचना , आदरणीया , बधाई |

Comment by savitamishra on August 1, 2014 at 12:06pm

आमोद भाई शुक्रिया आपका

Comment by savitamishra on August 1, 2014 at 12:06pm

लिखते वक्त प्रतिवाद और प्रतिघात शब्द आये तो दिल ने कहा क्यों न प्र वाले ही शब्दों से अंत करे सभी और कर दिए आप बडो का प्रशंसनीय शब्द सुनने के लिय शायद .......सादर आभार आदरणीय ...सादर नमस्ते

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 1, 2014 at 10:58am

सविता जी

आपने प्रतीयमान ,प्रतीप ,प्रतिलोम, प्रतिवाद और प्रतिघात  का प्रयोग किया है  प्र  से कोई विशेष प्रेम या  प्रयोजन  ?------ प्रशंसनीय !                                                                                        

Comment by savitamishra on July 31, 2014 at 10:00pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका प्रोत्साहन भरे शब्द बोलन एके लिए

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 31, 2014 at 8:58pm

शानदार अभिव्यक्ति .... बधाई हो ॥ उम्दा रचना ... बधाई स्वीकार करें ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 31, 2014 at 7:23pm

मन के द्वन्द से उपजे भाव रचना बन कर प्रस्फुटित हुए ,बहुत खूब बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए |

कृपया ध्यान दे...

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