निगरानी टीम रघुआ को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई, दरअसल वो सब्जी बाज़ार मे अवैध बिजली वितरण का धंधा स्थानीय कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से चला रहा था और प्रतिदिन प्रति बल्ब २० रुपये की वसूली सब्जी दुकानदारों से करता था.
लेकिन दूसरे ही दिन वो पुलिस हिरासत से वापस आ गया. कुछ विशेष नही बदला, सब कुछ पहले की तरह ही चलने लगा, बस अब बिजली किराया प्रतिदिन ३० रुपया हो गया था.
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
आदरणीय सौरभ भईया, आशीर्वाद स्वरुप की गई इस टिप्पणी हेतु दिल से आभार व्यक्त करता हूँ, उत्साहवर्धन हेतु कोटिश: धन्यवाद आदरणीय।
बधाई ह्रदय से स्वीकार है आदरणीया मीना पाठक जी, उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार।
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।
आदरणीय बागी सर ..आपकी लघु कथा वर्तमान व्यवस्थ में व्याप्त बुराईयों की और इंगित करती है इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
बसूली में कुछ टेक्स बाकी जो रह गया था. :-))) बहुत ही बढ़िया लघुकथा आदरणीय बागी जी, आपको बहुत-२ बधाई
यही होता आ रहा है अरसों से , पुलिसिया दबाव हमेशा कुछ पाने के लिये ही लगाया जाता है , और ऐसे ही रेट बढ़ाये जाते रहे हैं हमेशा से । बहुत खूब ! आदरणीय बागी जी , कथा के लिये बधाइयाँ ॥
क्यूंकि अब दस रुपया पुलिस की झोली में जाएगा !!! क्या होगा इस देश का ?? बहुत सटीक लघु कथा है ...बिजली की चोरी तो हर जगह हो रही है और गाँव में तो .!!..कोई हिसाब ही नहीं ..बहुत- बहुत बधाई आपको आ० गणेश जी इस सार्थक लघु कथा के लिए |
चंद शब्दों में हिन्दोस्तान की हालत व्यान कर दी बागी साहब वाह।
यथार्थ दिखाती लघुकथा , ढेरों बधाईयां गणेश जी ..
आदरणीय गणेश बागी जी नमस्कार बहुत दिनों बाद इस आश्रम में आने का मौक़ा मिला आते हि आपकी सभी लघु कथाएँ पढ़ी
सभी एक से बढ़ कर एक थी| आपकी अतुकांत कविताएँ भी बहुत अच्छी लगी| आदरणीय योगराज जी को भी सादर नमस्कार
कोशिस करूँगा ओ.बी.ओ.में सहभागिता की . सुन्दर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई
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