प्रिये , सुनती हो !
मैने सुना है आक्सीजन और हाईड्रोजन तैयार हो गये हैं
अपने ख़ुद के अस्तित्व खो देने के लिये
और एक रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के लिये
ताकि मिल पायें एक दूसरे से ऐसे, कि फिर कोई यूँ ही जुदा न कर सके
और बन सके पानी , एक तीसरी चीज़
दोनो से अलग
प्रिये,सुनती हो !
अब वो पानी बन भी चुके हैं
कोई सामान्यतया अब उन्हे अलग नही कर पायेंगे
अच्छा हुआ न ?
प्रिये , सुनती हो !
क्यों न हम भी तैयार हो जायें
प्रेम में अपने अपने अस्तित्व को भुलाने के लिये
अपना अपना अहं छोड़ने के लिये
ताकि गुज़र सकें एक रासायनिक प्रक्रिया से ,
जिसे पाणिग्रहण संस्कार कहते हैं
ताकि बन सके एक तीसरी चीज़ , परिवार
प्यारा परिवार
ता कि अलग न कर सकें कोई किसी सूरत
प्रिये सुनती हो !
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय जवाहर लाल जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया ॥
आदरणीया जाजेश जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।
आदरणीय विजय शंकर भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय जितेन्द्र भाई , आपका बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय हरिवल्लभ भाई सराहना के लिये आपका शुक्रिया ।
वाह! अति सुन्दर रासायनिक मिलान!
वैज्ञानिक धरातल पर रिश्तों ,परिवारों का बनना सुखद लगा ....बहुत सुन्दर ...बधाई आपको आ० गिरिराज जी
बहुत सुन्दरता से आपने दो तत्वों का उदहारण प्रस्तुत कर, रिश्तों कि परिभाषा को स्पष्ट किया है. बहुत -२ बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी
सुन्दर वैज्ञानिक परिकल्पना..
ताकि बन सके एक तीसरी चीज़ , परिवार
प्यारा परिवार..अनुकरणीय..
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