For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल,,,,,,,,,,,,,,,,,,, गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२ २१२ २१२ २१२

हो रहा है मुझे ये वहम देखिये

आज क़ातिल की भी आँख नम देखिये

आधुनिकता के ऐसे नशे में हैं गुम

नौजवानों के बहके क़दम देखिये

पसरा है नूर सा कमरे में हर तरफ

आये हैं घर पे मेरे सनम देखिये

शहर लगता है शमशान सा इन दिनों

आस्तीनों में किसके है बम देखिये

नाम तेरा लिखा था मैंने इक ही बार

महके उस रोज से ही क़लम देखिये

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on September 16, 2014 at 1:50pm

बहुत सुन्दर गजल  ! बधाई  सादर !

Comment by gumnaam pithoragarhi on September 15, 2014 at 6:10pm

dhanywaad dosto .................. aapka saath hamesha prerana deta hai,,,,,,,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 15, 2014 at 4:44pm

बढ़िया ग़ज़ल , आदरणीय गुमनाम भाई , आपको दिली बधाइयाँ |

Comment by Pawan Kumar on September 14, 2014 at 3:11pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति  ... बधाई सादर!

Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2014 at 2:29pm

हो रहा है मुझे ये वहम देखिये

आज क़ातिल की भी आँख नम देखिये//////////waah

नाम तेरा लिखा था मैंने इक ही बार

महके उस रोज से ही क़लम देखिये//waah waah waah 

bahutr hi zordaar gazal gumnaam bhai,,,,,,,,,,,,bahut bahut badhai apko

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 13, 2014 at 10:33am

sunder gazal badhai

Comment by Shyam Narain Verma on September 13, 2014 at 10:07am
सुन्दर गज़ल .... सादर बधाई.....
Comment by gumnaam pithoragarhi on September 12, 2014 at 8:33pm

namaskaar dosto.............. aapne saraha koshish safal hui...............................

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 12, 2014 at 4:38pm

पसरा है नूर सा कमरे में हर तरफ

आये हैं घर पे मेरे सनम देखिये...आदरणीय लक्ष्मण जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के इस शेर के लिए बिशेस रूप से बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 12, 2014 at 1:53pm
नाम तेरा लिखा था मैंने इक ही बार
महके उस रोज से ही क़लम देखिये
बात है , कुछ लाजवाब है , बधाई इस ग़ज़ल के लिए आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service