कुछ ऐसे सिलसिले हैं जो हमेशा साथ चलते हैं
कुछ ऐसे फासले हैं जोकि यादों में ठहरते हैं
छुपे कुछ राज होते हैं हरेक पैगाम में उसके
कभी हम जान लेते हैं, कभी अनजान रहते हैं
सँदेशे दिल के आते हैं, हमेशा आँख के रस्ते
कभी गालों को तर करते, कभी नूपुर से बजते हैं
वो मेरे साथ ज्यादा रासता तय कर नहीं पाये
पर उतनी राह पर अब भी हजारों फूल खिलते हैं
उन्हें जब याद करते हैं तो कोई गीत होता है
ग़ज़ल होती है जब कोई, उन्हें हम याद करते हैं
वो साँकल पे तेरी थपकी, बजी ज्यों श्याम की वंशी
हमारे कान सुनने को वही धुन फिर तरसते हैं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
//वो साँकल पे तेरी थपकी, बजी ज्यों श्याम की वंशी
हमारे कान सुनने को वही धुन फिर तरसते हैं//
सांकल पर पडी थपकी से अगर श्याम की बंसी की तान सुनती हो - तो ये मोहब्बत की इन्तहा है साहिब। गज़ब का शेअर हुआ है।
बहुत-बहुत आभार harivallabh sharma जी !
बहुत बढ़िया ग़ज़ल भाई Sulabh Agnihotri जी वाह...
वो साँकल पे तेरी थपकी, बजी ज्यों श्याम की वंशी
हमारे कान सुनने को वही धुन फिर तरसते हैं...सुन्दर ग़ज़ल हेतु badhai
बहुत-बहुत आभार डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी !
हुत-बहुत आभार laxman dhami जी !
बहुत-बहुत आभार khursheed khairadi जी !
सुलभ जी
बहु बढ़िया गजल हुयी है i मुबारक हो .
कुछ ऐसे सिलसिले हैं जो हमेशा साथ चलते हैं
कुछ ऐसे फासले हैं जोकि यादों में ठहरते हैं
आदरणीय सुलभ अग्निहोत्री जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें .
वो मेरे साथ ज्यादा रासता तय कर नहीं पाये
पर उतनी राह पर अब भी हजारों फूल खिलते हैं
आदरणीय सुलभ साहब मुकम्मल ग़ज़ल के खुबसूरत अशहार पर ढेरों दाद स्वीकार स्वीकार करें |वा...ह
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