For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फुसफुसाने की आवाज सुन काजल जैसे ही पास पहुँची सुना कि -तुम आ गये न, मैं जानती थी तुम जरुर आओगें, सब झूठ बोलते थे, तुम नहीं आ सकते अब कभी|
"भाभी आप किससे बात कर रही हैं कोई नहीं हैं यहाँ"
"अरे देखो ये हैं ना खड़े, जाओ पानी ले आओ अपने भैया के लिय बहुत प्यासे है|"
डरी सी अम्मा-अम्मा करते ननद के जाते ही भाभी गर्व से मुस्करा दी|

सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 892

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on September 24, 2014 at 10:12pm

आदरणीय राजेश दी आभार तहेदिल से आपका जो आपको पसंद आई अपन लेखन सफल रहा

Comment by savitamishra on September 24, 2014 at 10:12pm

आदरणीय विजय भैया आभार है हम आपके .....सुन्दर लाइनें दें आपने इस कथा को मान दे दिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 24, 2014 at 9:13pm

डरी सी अम्मा-अम्मा करते ननद के जाते ही भाभी गर्व से मुस्करा दी----लघु कथा की इस अंतिम पंक्ति ने भाभी के चरित्र का अनावरण कर  दिया एक पञ्च की तरह लगा यही इस लघु कथा की विशेषता है | बहुत बहुत बधाई आपको सवितामिश्रा जी ,आजकल रिश्तों से ही विश्वास उठ चला है किस के दिल में क्या छुपा है कह नहीं सकते |

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2014 at 9:00pm
कोई अकेलेपन से भागता है
कोई अकेलेपन के लिए भागता है
रिश्ते बदल रहे हैं या
नैये रूप गढ़ रहे हैं ।
दुनियाँ वही है ,
दुनियाँदार बढ़ रहे हैं ,
वही शायद कुछ नया गढ़ रहें हैं ॥
आपकी लघु कथा के लिए सादर आदरणीय सविता मिश्रा जी.
Comment by savitamishra on September 24, 2014 at 7:55pm

बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का तहेदिल से ..यूँ ही सदा मार्गदर्शन करते रहें आपके कमेन्ट हमें संबल प्रदान करते है!

Comment by Pawan Kumar on September 24, 2014 at 4:49pm

बहुत ही बढिया लघुकथा ....... बधाई सादर!

Comment by harivallabh sharma on September 24, 2014 at 1:54pm

इंतजार कभी ख़त्म नहीं होता अनवरत चलता जीवन के साथ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई आदरणीया सविता मिश्रा जी.

Comment by Shyam Narain Verma on September 24, 2014 at 1:18pm

सुन्दर लघुकथा के लिए दिली बधाइयाँ |

Comment by savitamishra on September 24, 2014 at 1:14pm

शुक्रिया आपका अप्ररुब करने के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service