For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा (ग़ज़ल)

1212-1122-1212-22    

तमाम उम्र जो ज़ेब-ए-पलक रहा होगा

नज़र से गिर के भी कितना चमक रहा होगा

सफ़र अँधेरों का है, फिर भी इक दिलासा है

कोई चराग़ मेरी राह तक रहा होगा

लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर

तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा

गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं

वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा

परिंदे शाम को लौटे तो मुझको याद आया

हमारा साथ भी कुछ शाम तक रहा होगा

किसी ने छीन लिया है मुझे मुक़द्दर से

कोई फ़िज़ूल दुआओं में थक रहा होगा

मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'

सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा

+++++++++

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 973

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 1, 2014 at 7:33pm

बहुत सुन्दर i लाजवाब i  हार्दिक बधाई आदरणीय

Comment by MAHIMA SHREE on September 30, 2014 at 5:04pm

गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं

वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा....वाह कमाल की ग़ज़ल कही है ..हार्दिक बधाई आपको 

Comment by seema agrawal on September 29, 2014 at 11:28pm

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...... हर शेर लाजवाब ...हर ख्याल नया ........

मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'

सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा

सफ़र अँधेरों का है, फिर भी इक दिलासा है

कोई चराग़ मेरी राह तक रहा होगा.................ज़रूर ...आप खुद ही चमकते हुए राह दिखाने वाले चराग़ होंगे एक दिन 

लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर

तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा

गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं

वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा............इन दोनों शेर में जो मासूमियत और नयापन है उसके लिये आप को दिल से मुबारकबाद ..........सलामत रहें और ऐसी ही अनगिनत गज़लें आपकी जानिब से पढ़ने को मिलती रहें 

 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2014 at 11:13am

दानिश जी ..ग़ज़ल की जिनती भी तारीफ़ की जाए कम है ..लेकिन आदरणीया राज जी के मशविरे में मैं अपना एक निवेदन जोड़ना चाहता हूँ कृपया उर्दू के तमाम शब्दों की बजह से कभी समझने में असुबिधा होती है मेहरवानी होगी यदि उर्दू शब्दों का अर्थ भी आप लिख दें तो हम जैसे सीखने वाले समझ भी लें और उर्दू के नए शब्दों को सीख भी लें ..एक बार पुनः ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 28, 2014 at 6:50pm

लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर

तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा----लाजबाब 

किसी एक शेर की क्या कहूँ हर शेर शानदार है दानिश जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ,एक गुजारिश है आपसे जैसे कि सीखने सिखाने की द्रष्टि से ओबिओ पर पोस्ट करते समय बह्र भी लिखी जाती है वो लिख देते तो हम जैसे सीखने वालों के लिए आसान हो जाता 

खैर बहरहाल आप दाद कबूलें इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 28, 2014 at 12:48pm

बहुत सुन्दर i लाजवाब i

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2014 at 10:49am
लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर
तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा
गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं
वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा
मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'
सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा
बहुत खूब , बहुत खूब जनाब जुबैर अली ' ताबिश ' जी , बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिए .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service