कपूर साहब कंस्ट्रक्शन कम्पनी के मालिक हैं । उनके संरक्षण में चलने वाली साहित्यिक संस्था सरकारी विभाग के सर्वोच्च अधिकारी वर्मा जी को उनकी लिखी किताब के लिए आज सम्मानित कर रही है । कपूर साहब ने शॉल, स्मृति-चिन्ह और स्वर्ण-पत्र देकर वर्माजी को सम्मानित किया ।
कार्यक्रम समापन के पश्चात कपूर साहब ने वर्मा जी को बधाई देते हुए धीरे से कहा, "सर, जरा उस 200 करोड़ वाले टेंडर को देख लीजियेगा"
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
वाह !!! क्या सम्मानित ये सम्मान है। अनुबंध पर ये बहुत खूब प्रबंध है। गजब की लघुकथा आज हठात हाथ आ गयी मेरे। विचरती रहती हूँ obo की गलियों में अक्सर , सुना है इसके गर्भ में कहीं ढेरों खज़ाना छुपा है। हाँ है। तभी तो मेरे हाथ आज इतनी सार्थक लघुकथा आई है। बधाई आपको आदरणीय गणेश जी बागी जी इस सटीक और सार्थक रचना के लिए। सादर
बहुत खूब ..सफल लघुकथा
वाह भाई वाह.. ! बहुत खूब !!
’घाव करे गंभीर’ को चरितार्थ करती इस लघुकथा केलिए हार्दिक बधाई, भाई गणॆशजी. अनेकानेक शुभकामनाएँ
सराहना हेतु दिल से आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।
आदरणीया महिमा जी, तारीफ़ हेतु शुक्रिया, किन्तु लघुकथा सम्राट ओ बी ओ पर बस एक ही हैं ---- परम आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी।
बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय पवन जी।
आदरणीय हरिबल्लभ शर्मा जी, प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से धन्यवाद।
आदरणीया वेदिका जी, व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकाल कर आपने इस लघुकथा पर प्रतिक्रिया दी, अच्छा लगा, इस प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
लघुकथा पसंद करने हेतु आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।
आदरणीय डॉ आशुतोष जी, प्रयास करता हूँ कि लघुकथा अपने मापदंडों पर खरा हो, शेष आप गुणीजनों का मुहब्बत है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार।
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