*रँग जीवन हैं कितने.
सुख अनंत मन की सीमा में,
दुख के क्षण हैं कितने ?
अभिलाषा आकाश विषद है,
है प्रकाश से भरा गगन.
रोक सकेंगे बादल कितना,
किरणों का अवनि अवतरण.
चपला चीर रही हिय घन का,
तम के घन हैं कितने ?
..दुख के क्षण हैं कितने ?
काल-चक्र चल रहा निरंतर,
निशा-दिवस आते जाते,
बारिश सर्दी गर्मी मौसम,
नव अनुभव हमें दिलाते.
है अमृतमयी पावस फुहार,
जल प्लावन हैं कितने ?
..दुख के क्षण हैं कितने ?
अनजानों की ठोकर सह लें,
क्षम्य नहीं आपस में भूल.
ये मानव रिश्ते भी क्या हैं,
आज फूल कल बनते शूल.
कभी मलय से सौम्य सुगन्धित,
दग्ध अगन हैं कितने ?
.. दुख के क्षण हैं कितने ?
छल फरेब को कैसे मापें,
कौन सान कसें ईमान.
निर्वासित क्यों शौर्य वर्यता,
क्यों कुंठित हो रहे ज्ञान.
आदर्शों की रसवंती में,
कुत्सित्जन हैं कितने ?
..दुख के क्षण हैं कितने ?
स्वर्ग-नर्क सब यहीं धरा पर,
अपने कर्मों की छाया.
सुख-दुख में परिमार्जन करना,
लोभ-मोह मन की माया.
विस्तृत होते इन्द्रधनुष से,
रँग जीवन हैं कितने ?
सुख अनंत मन की सीमा में,
दुख के क्षण हैं कितने ?
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय vijay nikore जी हार्दिक आभार रचना के आयामों पर आपका अनुग्रह मिला..बिलम्ब हेतु खेद है ..सादर.
आदरणीया MAHIMA SHREE जी हार्दिक आभार आपने रचना पर उत्तम प्रतिक्रिया देकर हौसला बढाया..बिलम्ब हेतु खेद है ..सादर.
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडिवाला जी आपका हार्दिक आभार आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से सदैव उत्साहित हुआ हूँ..बिलम्ब हेतु खेद...सादर.
आदरणीय Dr.Vijai Shanker साहब आपने गीत पर अपनी स्नेहिल उत्साहित करती प्रतिक्रिया दी आपका हार्दिक आभार, बिलम्ब हेतु क्षमा ..सादर.
आदरणीय somesh kumar आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार..बिलम्ब हेतु खेद है..सादर.
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपकी उत्साहित करती स्नेहिल टीप हेतु हार्दिक आभार...बिलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...सादर.
आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपकी स्नेहिल टिप्पणी का अति बिलम्बित आभार...
आपकी रचना ने चिंतन के लिए बहुत कुछ दिया है। अच्छी रचना के लिए बधाई।
बहुत ही सुंदर ..हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर भावों के गीत रचना हुई है | मेरी एक पुरानी रचना के कुछ शब्द इस प्रकार थे -
दुख के क्षण बहुत है, सुख भी मिले असीम
पर सुख तो मृग तृष्णा है दीखे दूरों मील |
सुंदर गीत रचना पर हार्दिक बधाई श्री हरी बल्लभ शर्मा जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online