For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम अगन करती सदा, चेतन का विस्तार

रोम-रोम तप भाव-तन, धरे नवल शृंगार

 

मैं-तुम भेद-विभेद हैं, मायावी मद भ्राम

द्वैत विलित अद्वैत सत, चिदानन्द अविराम

 

सूक्ष्म धार ले स्थूल तन, पराश्रव्य हो श्रव्य

गुह्य सहज प्रत्यक्ष हो, सधें नियत मंतव्य 

डॉ० प्राची 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 847

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 10:41pm

प्रिय महिमा जी 

आपको यह भावाभिव्यक्ति पसंद आयी...जानना संतोषकारी है 

धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 10:40pm

दोहों का सनातन भाव सराहने के लिए आभार आ० लक्ष्मण जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 10:39pm

दोहों की अन्तर्दशा पर आपकी आश्वस्त करती टिप्पणी और अनुमोदन केलिए आपकी आभारी हूँ आ० नीरज 'नीर' जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 10:38pm

दोहों के भाव आपको पसंद आये आ० जितेन्द्र जी, ये मेरे लिए संतोष का विषय है 

आपका धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 10:38pm

दोहावली की सार्थकता को अनुमोदित कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जी 

Comment by MAHIMA SHREE on October 19, 2014 at 7:31pm

दार्शनिक भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई प्रेषित है ..बहुत ही सुंदर दोहें आदरणीया प्राची जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2014 at 12:33pm

आदरणीय सोमेश कुमार जी 

इन दोहों के भावार्थ को अपने शब्दों में आपसे जो मान मिला है उसके लिए नत भाव से आपकी आभारी हूँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 10:43pm

बहुत सुंदर सनातन भाव रचित दोहे | जिन पर डॉ गोपाल नारायण जी और श्री नीरज कुमार "नीर" जी की टिपण्णी 

गहन समीक्षात्मक आ चुकी है | आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी 

Comment by Neeraj Neer on October 18, 2014 at 9:33am

इन दार्शनिक भावों से संपृक्त उत्कृष्ट दोहों के लिए हार्दिक बधाई। 

योग की परम अवस्था को दर्शाती इन पंक्तियों : 

सूक्ष्म धार ले स्थूल तन, पराश्रव्य हो श्रव्य

गुह्य सहज प्रत्यक्ष हो, सधें नियत मंतव्य  

के क्या कहने, कितनी सुंदरता से इतनी गूढ बात कह दी ॥  

और अद्वैत के सिद्धांत को प्रतिष्ठापित करती इन पंक्तियों के क्या कहने :सूक्ष्म धार ले स्थूल तन, पराश्रव्य हो श्रव्य

गुह्य सहज प्रत्यक्ष हो, सधें नियत मंतव्य ॥

बहुत खूब। बहुत बधाई । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 18, 2014 at 9:20am

बहुत सुंदर भाव.अनुपम दोहावली, आदरणीया डा.प्राची जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
1 minute ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
10 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service