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सहज लगाव हृदय में हिलोड़ जाते हैं ।
अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं ॥
किसी उदास की पीड़ा सजल हृदय में ले
निशा निराश हुई, चुप वृथा पड़ी-सी थी
तथा निग़ाह कहीं दूर व्योम में उलझी
किसी करीब के होने की आस जीती थी
मगर रुकी है कहाँ ज़िन्दग़ी किसी पल भी
इसी विचार को समवेत स्वर में गाते हैं--
अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं !!
उतावली कोई अल्हड़ झिंझोर दे मणियाँ
कभी लगे कि झरे पारिजात अदबद कर
रसालकुंज अघाया हुआ.. मताया-सा..
कुमारियों की नरम देह झुक गयी लद कर
शकुंतला है इन्हीं वृक्ष, वन-लताओं में
पुलक-पुकार से दुष्यंत फिर बुलाते हैं !
अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं !!
धरा के अंग पे सुन्दर लगें ये आभूषण
कभी सुहाग के कुंकुम बने निखरते हैं
महावरों की लकीरों-से रच गये, या फिर-
सुहाग-रंग छुए अंग बन-सँवरते हैं
लगे धरा ये सिहरती हुई नयी दुल्हन
’अटल रहे तेरा अहिवात..’ बोल भाते हैं !
अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं !!
******************
-सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आस ,उदासी, सौंदर्य, श्रृंगार , सुहाग , अभिसार सबकुछ लपेटे दीपों की लड़ियों सी पंक्तियाँ , बहुत सुन्दर, धन बिखेरती दीवाली का चित्रण , बधाई आदरणीय सौरभ पण्डे जी. दीपाली की शुभकामनाएं
भाई जितेन्द्रजी, आपको दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
रचना को अनुमोदित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
आदरणीया राजेश कुमारीजी, दीपावली के अवसर पर लिखा गया गीत तनिक विशेष आयाम लिए हुए है. आपको इस गीत का विन्यास रुचिकर लगा, समझिये प्रयास सार्थक हुआ. हार्दिक धन्यवाद..
दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
सादर
आदरणीय श्याम नारायणजी, रनाओं पर आपकी उपस्थिति उत्साहित करती है..
दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
गीत को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाई नीरज नीर जी.
दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर .दीपावली पर झिलमिलाती सुंदर दीपमालाओं सा मनभावन गीत, ह्रदय से बधाइयाँ आपको आदरणीय सौरभ जी. दीपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएं
उतावली कोई अल्हड़ झिंझोर दे मणियाँ
कभी लगे कि झरे पारिजात अदबद कर
रसालकुंज अघाया हुआ.. मताया-सा..
कुमारियों की नरम देह झुक गयी लद कर
शकुंतला है इन्हीं वृक्ष, वन-लताओं में
पुलक-पुकार से दुष्यंत फिर बुलाते हैं !
अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं !!--वाह्ह्ह वह्ह्ह.... आज तो अभिज्ञान शाकुन्तलम की याद आ गई.
कितनी ख़ूबसूरती से इक द्रश्य सा आँखों के सामने अवतरित कर दिया आपने ...दीपावली के अवसर को सार्थक करता बहुत ही खूबसूरत गीत लिखा गया है आपकी समर्थ लेखनी से आ० सौरभ जी. ढेर सारी बधाईयाँ गीत के लिए भी दीपावली के लिए भी |
बहुत सुन्दर मनमुग्ध करता गीत ...बहुत बहुत बधाई आपको............. |
सादर..................
बहुत उत्कृष्ट ... अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं... बहुत सुंदर गीत ...
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