क्षणिकाएँ...
1.घन गरजे घनघोर
तिमिर चहुँ ओर
तृण-तृण से तन बहे
करके सब कुछ शांत
मेह हो गया शांत
..........................
2. सावन की फुहार
सृजन की मनुहार
रंगों का अम्बार
आयी बहार
हुआ धरा का
पुष्पों से शृंगार
.......................
3.बुझ गयी
कुछ क्षण जल कर
माचिस की तीली सी
जंग लड़ती साँसों से
असहाय ये काया
.........................
4.हर शाख पर
शूल ही शूल
फिर भी महके
शूल शय्या पर
जीवन बन
सुर्ख गुलाब
..........................
5.स्वयं से अंजान
स्वयं की पहचान
स्वयं को जान
झाँक स्वयं को
स्वयं में सिमटा
जीवन-मरण का
शाश्वत ज्ञान
6.चिलचिलाती धूप में
तालियों के शोर में
करतब दिखाती बच्ची
रस्सी से गिर पड़ी
साँसों से संघर्ष भी
भीड़ को करतब लगा
सिक्के उछलते रहे
डुगडुगी बजती रही
इक रोटी की आस में
भूख मगर सिसकती रही
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
सरना जी
बहुत सुंदर i इक रोटी की आस में भूख मगर सिसकती रही i
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपकी मधुर ऊर्जावान प्रशंसा का हार्दिक आभार
आ. सुशील सरना भाई , बहुत सुन्दर क्षणिकाओं की रचना हुई है , सभी बढ़िया लगे । आपको दिली बधाइयाँ ।
चिलचिलाती धूप में
तालियों के शोर में
करतब दिखाती बच्ची
रस्सी से गिर पड़ी
साँसों से संघर्ष भी
भीड़ को करतब लगा
सिक्के उछलते रहे
डुगडुगी बजती रही
इक रोटी की आस में
भूख मगर सिसकती रही --- लाजवाब !
आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी क्षणिकाओं पर आपकी ऊर्जावान मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी क्षणिकाओं पर आपकी आत्मीय मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय khursheed khairadi jee रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीया rajesh kumari jee रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर हुई हैं
........
सिक्के उछलते रहे
डुगडुगी बजती रही
इक रोटी की आस में
भूख मगर सिसकती रही......मर्मस्पर्शी शब्द-चित्र
हार्दिक बधाई आ० सुशील सरना जी
क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर रची हैं आ० सुशील सरना जी। हार्दिक बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online