For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सितारों की कसम उस चाँद को भूला नहीं अब तक--ग़ज़ल उमेश कटारा

1222 1222 1222 1222

मुझे ख़त भेज़ता है वो ,कभी मेरा हुआ था जो
गया था छोड़कर मुझको ,मेरा बनकर ख़ुदा था जो

सितारों की कसम उस चाँद को भूला नहीं अब तक
मेरी तन्हा भरी उस रात में सँग सँग ज़गा था जो

परेशाँ तो नहीं होगा,अकेला तो नहीं होगा
मुझे है फिक्र क्यों उसकी, नहीं मेरा हुआ था जो

कभी दिन के उज़ाले में चला था साथ वो मेरे
मगर फिर छोड़कर मुझको अँधेरे में गया था जो

जमाने को शिकायत भी मेरे इन आँसुओं से है
बहुत लम्बा चला मेरा ,जरा सा सिलसिला था जो

भुलाकर बेव़फाई को चला हूँ मैं उसे मिलने
मेरे इस दिल के गुलशन में मोहब्बत से ख़िला था जो

मगर ये ज़ाल था उसका ,फँसाया था मुझे उसने
रक़ीबों के ईशारों पर ,मुझे ख़त लिख़ रहा था जो

-----------
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित









Views: 359

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 6, 2014 at 2:16pm

सुन्दर अशआर कहे हैं आ० उमेश कटारा जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 6, 2014 at 7:57am

प्रेम में दिल और दिमाग दोनों को शामिल कर, बहुत ही बेहतर शेर कहे है आपने आदरणीय उमेश जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 5, 2014 at 4:06pm

पुरअसर गजल है i  बधाई i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2014 at 6:07pm

आदरणीय उमेश भाई , बढिया गज़ल हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी विद्व जन बता ही चुके हैं , उन बातों का ख्याल करें ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 11:27am

//मेरी तन्हा भरी उस रात में सँग सँग ज़गा था जो//           

इस मिसरे में "तन्हा" शब्द के प्रयोग पर ज़रा नज़र-ए-सानी फरमाएं आ० उमेश कटारा जी. आ० राजेश कुमारी जी की बात का भी संज्ञान लें. वैसे ग़ज़ल बढ़िया हुई है जिसके लिए आपको हार्दिक बधाई प्रेषित है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2014 at 9:39am

वाह ..वफ़ा और जफ़ा दोनों का बढ़िया मिश्रण है आपकी इस ग़ज़ल में 

जमाने को शिकायत भी मेरे इन आँसुओं से है
बहुत लम्बा चला मेरा ,जरा सा सिलसिला था जो--ये शेर बहुत पसंद आया 

परेशाँ तो नहीं है वो,अकेला तो नहीं है वो
मुझे है फिक्र क्यों उसकी, नहीं मेरा हुआ था जो--इसमें तकाबुले रदीफ़ दोष आया है देख लें 

बहुत- बहुत दाद कबूलें आ० उमेश कटारा जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service