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बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

बाहोँ के अपनी वो के हार दे दो

प्यार भरे सोलह श्रंगार दे दो||

खिल जाए बगिया वो बहार दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

भड़क जाये  शोले वो आग दे दो

नाचे मेरा मन वो राग दे दो||

बजे दिल में सरगम को साज दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

उड़ जाऊ तुम संग वो परवाज दे दो

कदमो तले तुम ये आकाश दे दो||

मर जाऊ तुम पे ये विश्वाश दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

हाथो का अपने वो सिरहाना दे दो

आगोश का अपने वो वीराना दे दो ||

मुझे मेरी खुशियों का संसार दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

लबों को लबों की सौगात दे दो

भीग जाए तन मन वो बरसात दे दो||

कट जाए बंधन वो तलवार दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2014 at 2:05pm

सरिता  जी बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति  //हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2014 at 11:16pm
रूमानी खयालों से पगीइस रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया सरिता जी..
Comment by Mohinder Kumar on November 7, 2014 at 4:02pm
आपके पँखोँ को परवाज मिले
आपके लफ्जोँ को आवाज मिले
पूरी हो मन की मुराद्
मीत का सँग मिले

जीवन मेँ हर रँग खिले

यही हमारी दिली कामना है
भावभरी रचना के लिये बधाई

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 7, 2014 at 12:14pm
बहुत खूब सरिता पंथी जी।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 7, 2014 at 10:35am

प्रेम से भरे अंतर की कामना को बहुत सुंदर शब्द व् भाव दिए है आपने आदरणीया सरिता जी. बधाई स्वीकारें

Comment by Shyam Narain Verma on November 7, 2014 at 10:26am

" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 6, 2014 at 2:33pm

बढ़िया प्रयास है i बधाई i

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