Posted on December 6, 2016 at 7:12pm — 3 Comments
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बचा कर रखेगी दुआ हादसों से,
करो अबसे तौबा बुरी आदतों से|
कदम अब बढे है जमाने से आगे,
नहीं रोक सकते हमें पायलों से|
करार तमाचा जवाबी मिलेगा,
रहें अपने घर में कहो दुश्मनों से|
गरीबों को मारा खुले आसमाँ ने,
बरसती है आफत यहाँ बादलों से|
लो मुश्किल हुआ अब यहाँ सांस लेना,
हुए शेर मुजरिम गलत फैसलों से|
सजा बन रहे है मरासिम हमारे,
मिलेगी मुहब्बत…
ContinuePosted on September 22, 2016 at 8:00am — 4 Comments
Posted on August 6, 2016 at 8:23am — 5 Comments
हाथों को मेरे तुम थाम लो
मेरा ही बस तुम नाम लो
कानों में अमृत रस घोलो
मैं सुनती रहूँ बस तुम बोलो|
केशों को मेरे तुम सहलाओ
बातों से मेरा जी बहलाओ
बादल तुम नेह के बरसाओ
नैनों में छिपा लूँ आ जाओ|
नज़रों से मुझे तुम पढ़ते रहो
नित स्वप्न सुरीले गढ़ते रहो
आगे ही आगे बढ़ते रहो
सोपान ह्रदय के चढ़ते रहो|
जीवन की मुझे तुम आस दो
नेह का अपने विश्वास दो
यौवन का मुझे मधुमास दो…
ContinuePosted on March 29, 2016 at 6:52pm — 5 Comments
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Comment Wall (7 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आ. sarita panthi जी, आपको ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें
आ.laxman dhami जी, आ.लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी , आ. shree suneel जी, आMeena Pathak जी, आ.Hari Prakash Dubey जी, आ.Shyam Narain Verma जी एवं आ Dr Ashutosh Mishra. जी आप सभी ने अपना अमूल्य समय मेरी कविता को दिया और सराहा उसके लिए ह्रदय से आभारी हु . मुझे साहित्य को विधाओं का कुछ भी ज्ञान नही है जो दिल में आता है लिख देती हूँ आशा है आगे भी आप सभी मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे |
आ.डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी मैंने ठूँठ का दर्द बयान करने की कोशिश की है उसकी उपयोगिता नकारने की नही . नया नया लेखन है कमी कमजोरी हो सकती है आपके विचारों के लिए आभार
आ.khursheed khairadi जी, आ Shyam Narain Verma .जी, आ. rajesh kumari जी, आ.Neeraj Kumar 'Neer' जी,आ. योगराज प्रभाकर जी , आ लक्ष्मण रामानुज लडीवाला आप सभी आदरणीय गुनीजनो की छत्रछाया में मुझे भी बहुत कुछ सिखने को मिलेगा . और आप सभी का मार्ग दर्शन मिलता रहेगा यही मेरी अभिलाषा है .
आदरणीय सभी गुनीजनो को ह्रदय से आभार प्रकट करती हु. आशा है मुझे कुछ समय देंगे यहाँ व्यवस्थित होने के लिए .
आ. डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आपने मेरी रचना को आपका कीमती समय देकर जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए ह्रदय से आपका आभार .........
आ. जितेन्द्र पस्टारिया जी एवं सभी गुनिजन मैं अभी अनाडी हु ये साईट चलाना भी नही जानती इसलिए आप सब से विनती है की मुझे दक्ष होने के लिए कुछ समय दीजियेगा और मुझे प्रोत्साहित करने हेतु आप सभी का ह्रदय से आभार ....................