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Sarita panthi's Blog (12)

एक ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

प्यार करते हो हमें गर, साथ चलकर देखना।

जल रहे जिस आग में हम, तुम भी जलकर देखना।।



एक गठरी बांधकर, मैंने सवालों की रखी।

दिल में आ जाए कभी, दो एक हल कर देखना।।



रास्ता बाहर का दिखलायेंगे अपने, आपको।

है अगर साहस तो लहरों सा, मचलकर देखना।।



हूँ मैं सोना आग में जलना, ही मेरा काम है।

दर्द मेरा जान जाओगे, पिघलकर देखना।।



जागता है साथ मेरे, ये बिछौना रातभर।

चाहती हूँ एक दिन इसको, बदलकर देखना।।



सामने से… Continue

Added by sarita panthi on December 6, 2016 at 7:12pm — 3 Comments

एक गज़ल

122    122    122    122

बचा कर रखेगी दुआ हादसों से,

करो अबसे तौबा बुरी आदतों से|

कदम अब बढे है जमाने से आगे,

नहीं रोक सकते हमें पायलों से|

करार तमाचा जवाबी मिलेगा,

रहें अपने घर में कहो दुश्मनों से|

गरीबों को मारा खुले आसमाँ ने,

बरसती है आफत यहाँ बादलों से|

लो मुश्किल हुआ अब यहाँ सांस लेना,

हुए शेर मुजरिम गलत फैसलों से|

सजा बन रहे है मरासिम हमारे,

मिलेगी मुहब्बत…

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Added by sarita panthi on September 22, 2016 at 8:00am — 4 Comments

गज़ल

श्रृंगार से ये तन तुम, यूँ और मत सजाओ,

छूते हुए लगे डर, फौलाद अब बनाओ।।



मेहंदी सुहाग चूड़ा, कमजोरी की निशानी,

हाथों में लो कलम तुम, तलवार सा चलाओ।।



मेहँदी भी है पिया की, चूड़ी भी है पिया की,

कुछ तो दिमाग खोलो, अपना भी कुछ बताओ।।



जीवन गया ये अपना, पानी के भाव बहकर,

अपना नहीं रुका पर, बेटी का तुम बचाओ।।



देते हो दूसरों को, उपदेश जिंदगी के,

कुछ तो करो शरम अब, खुद भी तो आजमाओ।।



छोडो मुहब्बतों को, जीना नहीं है आसां,

है… Continue

Added by sarita panthi on August 6, 2016 at 8:23am — 5 Comments

मोरे पिया

हाथों को मेरे तुम थाम लो

मेरा ही बस तुम नाम लो

कानों में अमृत रस घोलो

मैं सुनती रहूँ बस तुम बोलो|

 

केशों को मेरे तुम सहलाओ

बातों से मेरा जी बहलाओ

बादल तुम नेह के बरसाओ

नैनों में छिपा लूँ आ जाओ|

 

नज़रों से मुझे तुम पढ़ते रहो

नित स्वप्न सुरीले गढ़ते रहो

आगे ही आगे बढ़ते रहो

सोपान ह्रदय के चढ़ते रहो|

 

जीवन की मुझे तुम आस दो

नेह का अपने विश्वास दो

यौवन का मुझे मधुमास दो…

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Added by sarita panthi on March 29, 2016 at 6:52pm — 5 Comments

परिवर्तन

बदल रहा समाज बदल रहा कल आज

बीच चौराहे आ जाती अक्सर घर को लाज

सामान्य से हो रहे विवाहेत्तर सम्बन्ध

धुंधले से पड़ गये, दिल के सब अनुबंध

हर किसी को चाहिए जरुरत से ज्यादा "मोर"

भौतिकता जागी है सारे बंधन तोड़

जितना मिले उतना जगे, ज्यादा पाने की आस

कम हो गयी सहनशीलता बढ़ गयी है प्यास

हर किसी को चाहिए अस्तित्व की खोज

कमजोर हो रहे है रिश्ते, दरक रहे है रोज

आया नया ज़माना है कुछ खोकर कुछ पाना…

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Added by sarita panthi on December 21, 2014 at 8:02pm — 13 Comments

वो मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त

मेरी खिड़की से दीखता है एक पेड़

उसका हाल भी मेरे जैसा ही है

ना जाने कब प्यार कर बैठे हम

जब भी खिड़की खोलती हूँ

उसे अपने इन्तजार में ही पाती हूँ

 

कोई तो है जिसे हर पल मेरा इन्तजार है

मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त

एक अनजाना सा बंधन बंध गया है

हम दोनों के बीच में

हर पल मुझे ही निहारा करता है

 

जब भी उसके सामने से गुजरती हूँ

कहता है जल्दी आना

में तुम्हारा यही इन्तजार कर रहा हूँ

दिल खुश हो…

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Added by sarita panthi on December 2, 2014 at 10:00am — 13 Comments

पानी और प्यास

पानी हमको पीना है

मिनरल या फिर फ़िल्टर

साफ़ पानी सुरक्षित पानी

खुद का बर्तन खुद का पानी||

 

पानी बड़ा या प्यास ?

विषय है ये बेहद ही ख़ास

प्यास है एक स्वाभाविक सी क्रिया

प्यास सभी को जगती है||

 

कभी मिल जाता पानी तो

कभी सूखे से तपती है

प्यास है तन के प्यास है मन की

प्यास आँखों की प्यास कुछ पाने की||

 

पानी चाहिए मीठा मीठा

हो तो फ़िल्टर या फिर मिनरल

प्यासा जब मरने को…

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Added by sarita panthi on November 25, 2014 at 9:42am — 7 Comments

नये युग का प्रेम

स्त्री को चाह होने लगी स्त्री की

पुरुष कर रहा पुरुष से प्यार

कैसे तो ये संभव है

और कैसे हो जाता इकरार||

 

स्वभाविक सी अभिव्यक्ति है ?

या सामाजिक वर्जनाओं को तिरस्कृति है?

ईश्वर का तो नही रहा होगा ऐसा कोई अभिप्राय

प्यार के नये नये रूप देते दिल हिलाए||

 

स्त्री और पुरुष का अनमोल अनूठा जोड़

सृष्टि टिकी है इस रिश्ते पर कैसे कोई सकता तोड़

वासनाओं के दिख रहे नित नए ही रूप

इश्क हो रहा शर्मिंदा प्यार दिख रहा…

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Added by sarita panthi on November 24, 2014 at 9:53am — 7 Comments

तुम्हारे नयन

छुपा ना सकोगे मेरी चाहत को

यूँ नजरें चुराने से

धडकता है दिल तुम्हारा

मेरे ही बहाने से

पलभर का ही साथ है

या पल दो पल की बात है

यूँ ही तो नही

तुमसे हुई मुलाकात है

धडकता है दिल मेरा

तेरी ही धड़कन से

मौन है सारे शब्द

बोलते नयन है नयन से

बहुत सम्हाला इस दिल को

पर होकर रहा बेकाबू

दिल के हाथों है मजबूर

जा नही सकते तुझसे दूर

जाने किससे हुई खता

जाने किसका है क़ुसूर

सरिता पन्थी…

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Added by sarita panthi on November 14, 2014 at 8:30pm — 5 Comments

ठूँठ

ठूँठ  

था हराभरा मेरा संसार

खुशियाँ लगती थी मेरे द्वार

हरी हरी मेरी शाखायें

फूल पत्ते भरकर इठलाये||

 

मेरा जीवन उनसे था और

उन सब से ही में जीता था

छांव पथिक सुस्ता लेता था

थकन अपनी बिसरा देता था||

 

समय ने ऐसा खेल दिखाया

दूर हो गयी मेरी ही छाया

छोड़ गये सब मुझको मेरे

एक एक कर देर सबेरे||

 

कद मेरा यूँ हुआ बढ़ा

रह गया आज अकेला खड़ा

रूप…

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Added by sarita panthi on November 12, 2014 at 7:49am — 10 Comments

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

बाहोँ के अपनी वो के हार दे दो

प्यार भरे सोलह श्रंगार दे दो||

खिल जाए बगिया वो बहार दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

भड़क जाये  शोले वो आग दे दो

नाचे मेरा मन वो राग दे दो||

बजे दिल में सरगम को साज दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

उड़ जाऊ तुम संग वो परवाज दे दो

कदमो तले तुम ये आकाश दे दो||

मर जाऊ तुम पे ये विश्वाश दे दो

बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||

 

हाथो का अपने वो…

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Added by sarita panthi on November 6, 2014 at 9:00am — 7 Comments

दिल ये बेईमान सताता है.....................

दिल ये बेईमान सताता है

हर पल भटकना चाहता है

डोरी है प्यार की नाजुक सी

कच्ची है कह धमकाता है

हलकी सी भी हवा मिले तो 

हवा के संग बह जाता है



लग जाये ना गैरों की नजर

इस डर से छुपाकर रखा है

मैं लाख सम्हालूँ जतन करूँ

मुझको ही भ्रम दे जाता है



देखूं तो दुनिया…

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Added by sarita panthi on November 2, 2014 at 10:00pm — 10 Comments

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