मेरी खिड़की से दीखता है एक पेड़
उसका हाल भी मेरे जैसा ही है
ना जाने कब प्यार कर बैठे हम
जब भी खिड़की खोलती हूँ
उसे अपने इन्तजार में ही पाती हूँ
कोई तो है जिसे हर पल मेरा इन्तजार है
मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त
एक अनजाना सा बंधन बंध गया है
हम दोनों के बीच में
हर पल मुझे ही निहारा करता है
जब भी उसके सामने से गुजरती हूँ
कहता है जल्दी आना
में तुम्हारा यही इन्तजार कर रहा हूँ
दिल खुश हो जाता है कोई तो है
जिसे मेरा इन्तजार रहता है
बहुत सुन्दर नही है धूल मिट्टी से सना है
मेरे दिल में उसने भावनाओं को बुना है
मुझे उससे बातें करना अच्छा लगता है
क्यूंकि मेरी हर बात में वो मेरे साथ है
वो मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त
सरिता पन्थी "मौलिक व अप्रकाशित "
Comment
सभी मित्रों को सादर नमस्कार .... कार्यभार की अति व्यस्तता के चलते यहाँ आना नही हो पाया . आ. Er. Ganesh Jee "Bagi" जी, आ. ajay sharma जी , आ. rajesh kumari जी, आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, एवं आदरणीय योगराज प्रभाकर जी आप सभी का ह्रदय से आभार ...आशा है यूँ ही मार्गदर्शन करते रहेंगे |
अच्छी अभिव्यक्ति है आ० सरिता पंथी जी। यदि रचनाओं को छंदबद्ध कर पाएं तो आनंद आ जाये।
एक संवेदनशील हृदय की सुन्दर अभिव्यक्ति.बहुत- बहुत बधाई सरिता जी.
अच्छी अभिव्यक्ति है i
क्यूंकि मेरी हर बात में वो मेरे साथ है
वो मेरा साथी मेरा सहारा मेरा दोस्त.............sunder rachna
सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई।
आ.Shyam Narain Verma जी , आ.Dr. Vijai Shanker जी , आ.somesh kumar जी, आ. ram shiromani pathak जी आप सभी ने अपना समय दिया और मुझे उत्साह | आप सभी का ह्रदय से आभार व्यक्त करती हु |
सुन्दर भावों से पगी सुन्दर रचना बधाई आपको //
अत्यंत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई ,आदरणीया सरिता पन्थी जी !
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