साथ मेरे चलों , तो चलों उम्र भर ,
दो कदम साथ चलना गॅवारा नहीं।
तुम अधूरे इधर , मैं हूँ अधूरा उधर ,
दोनों आधे जिये , ये गॅवारा नहीं ।
तुम जो कह दो शुरू, तो शुरूआत हो
तुम जो कह दो खतम , सॉस थम जोयगी ।
पंथ कांटों का हो या कि फूलों भरा
तुम नहीं साथ में , ये गॅवारा नहीं ।
लाख नजरों में दिलकश नजारे रहे
किंतु आँखों की देहरी को न छू सके
मेरे सपनों के घर में सिवाय तेरे ,
चित्र हो और कोई , ये गॅवारा नहीं
मैं अकेला रहूँ या रहूँ भीड मैं
तुम बढाना नहीं हाथ मेरी तरफ
ये जमाना करें , लाख मुझपे सितम
एक तुझपे सितम , ये गॅवारा नहीं।
.
अजय कुमार शर्मा
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
बहुत खूबसूरत भाव हैं। बधाई।
बहुत ही सुन्दर! गुनीजनों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होती है...
साथ मेरे चलों , तो चलों उम्र भर ,
दो कदम साथ चलना गॅवारा नहीं।
तुम अधूरे इधर , मैं हूँ अधूरा उधर ,
दोनों आधे जिये , ये गॅवारा नहीं ।----------भैया कहाँ से ये भाव ले आये i बहत उच्च i बहुत सुन्दर i
साथ मेरे चलों , तो चलों उम्र भर ,
दो कदम साथ चलना गॅवारा नहीं।
तुम अधूरे इधर , मैं हूँ अधूरा उधर , ------हूँ हटा दीजिये
दोनों आधे जिये , ये गॅवारा नहीं ।-------बहुत ही खूबसूरत शुरुआत ,इसी तरह अन्य पंक्तियों को भी साधते २१२ २१२ २१२ २१२ ...पर तो क्या बात थी एक शानदार नज्म होती
खैर बहरहाल ढेरों बधाई लीजिये इस भावपूर्ण प्रस्तुति पर
bahut roj se ik ik rachna post kar raha tha ....aaj manokamna puran hui .....sabhi ......bade aur guni jano ko hardik dhanyavad
मन को छूने वाली ,,,,,सुन्दर रचना पर बधाई ,आ. अजय जी |
वाह बहुत सुंदर।
सुन्दर भाव //हार्दिक बधाई आपको
मेरे सपनों के घर में सिवाय तेरे ,
चित्र हो और कोई , ये गॅवारा नहीं....सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई श्री अजय शर्मा जी !
ज़िन्दगी भर का साथ माँगा है /हाँ तेरा हाथ माँगा है/
चंद मुलाकतों में मुक्कमल नहीं /इसलिए हर घड़ी का साथ माँगा है
सुंदर भाव-अभिव्यक्ति
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