2122 2122
ये भी जीने की अदा है
ग़म खुशी में मुब्तला है
रात भी है चाँद भी और
चाँदनी की ये रिदा है
नेस्त हो जाएगा इक दिन
रेत पर जो घर बना है
हादसों के दरमियाँ इक
ज़िन्दगी का सिलसिला है
मखमली सा लम्स तेरा
सर्द जैसे ये सबा है
तुझमें है यूँ अक्स मेरा
तू कि जैसे आइना है
मैं नहीं तन्हा सफ़र में
साथ अपनो की दुआ है
छोर पर नाकामियों के
मंज़िलों का रास्ता है
साँस ही है इब्तिदा और
साँस ही तो इंतिहा है
नाखुशी ज़ाहिर करो तुम
दिल जलाना क्या बजा है
क्या कहूँ मैं क्या लिखूँ अब
चश्मे नम से क्या दिखा है
(रिदा= चादर, नेस्त= ध्वस्त, लम्स= स्पर्श, बजा= ठीक)
Comment
आदरणीय श्याम नारायण जी आपका हार्दिक आभार
आदरणीय नीरज भाई आपका हार्दिक आभार
आदरणीय राहुल जी आपका तहेदिल से शुक्रिया
शिज्जू भाई
आपकी लेखनी के तो कहने ही क्या ? क्या सुन्दर गजल कही है i आपको इस रचना हेतु बधाई i सादर i
साँस ही है इब्तिदा और
साँस ही तो इंतिहा है
bahut hi sunder gazal ke liye .....thanks
इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें
उम्दा शेर
मैं नहीं तन्हा सफ़र में
साथ अपनो की दुआ है
हार्दिक बधाई स्वीकारें इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए |
नेस्त हो जाएगा इक दिन
रेत पर जो घर बना है
नाखुशी ज़ाहिर करो तुम
दिल जलाना क्या बजा है
साँस ही है इब्तिदा और
साँस ही तो इंतिहा है
वाह सर जी बहुत खूब ग़ज़ल हुई है सारे शेर कमाल हुए है बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online