For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिश्ते हैं , बन जाते हैं -- डा० विजय शंकर

लोग मिलते हैं ,
जीवन में आते हैं ,
रिश्ते हैं , बन जाते हैं |
कभी छाँव में दो पल साथ बिताते हैं ,
कभी तपती दोपहरी भी सह जाते हैं ,
कभी चट्टान से बन जाते हैं ,
कभी बरगद की तरह हो जाते हैं,
कभी फूलों की तरह आते हैं ,
सब महका , महका जाते हैं ,
रिश्ते हैं , बन जाते हैं |

रिश्ते बनते हैं ,
बनते जाते हैं ,
कभी छूट भी जाते हैं ,
कभी कहीं बिखर जाते हैं ,
कभी बिखरने की वजह से छूट जाते हैं।
कभी कांच से भी नाज़ुक रह जाते हैं ,
झटका एक लगा और टूट जाते हैं ,
टूटते हैं , बिखरते हैं, दूर तक बिखर जाते हैं,
कौन सा टूटा टुकड़ा , कब कहाँ रास्ते में ,
आ जाए , चुभ जाए , पहले से.
कहाँ बताते हैं , बस चुभ जाते हैं.
रिश्ते ऐसे ही होते हैं |

रिश्ते हैं ,
अपनी सुगंध , अपना स्वाद रखते हैं ,
एक चुटकी स्वाद नमक का बना रहे ,
रिश्ते मीठे - मीठे , मीठे रह जाते हैं ,
रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |

रिश्ते हैं ,
रहते हैं ,
यूँ ही कभी याद भी आते हैं ,
हर खुशी , हर गम में याद आते हैं ,
टूट जाएँ , तो ज्यादा याद आते हैं ,
रिश्ते हैं, बस कुछः यूँ ही होते हैं ,
रिश्ते ऐसे ही होते हैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 5:54pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय योगेन्द्र सिंह जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 6:30am
रचना को पसंद करने केलिए आभार आदरणीय जवाहर लाल जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 12:04am
रचना पसंद करने के लिए आभार , धन्यवाद, आदरणीय सोमेश कुमार जी , सादर।
Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 11:03pm

रिश्ते हैं ,
अपनी सुगंध , अपना स्वाद रखते हैं ,
एक चुटकी स्वाद नमक का बना रहे ,
रिश्ते मीठे - मीठे , मीठे रह जाते हैं ,
रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:25pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी ,रचना को स्वीकार करने एवं प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:21pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:20pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी , सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 7:20pm

लाजवाब! एक एक पंक्ति सत्य को परिभाषित करती हुई ....बहुत रिसते हैं, ये रिश्ते  कभी कभी....

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 3:47pm

रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |-------------------------------- Vijay sir ! क्या बात  है , बेहतरीन  i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 22, 2014 at 3:21pm

आदरणीय विजय शंकर भाई , रिश्तों की खूबसूरत व्याख्या की है आपने , बहुत खूब , बहुत बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Oct 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service