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विभु से मांगो मित्र तुम, अब ऐसा वरदान

नये  वर्ष में शांत हो, मानव का शैतान

 

हो न धरा अब लाल फिर, महके मनस प्रसून

किसी अबोध अजान का, नाहक बहे न खून

 

सबके जीवन में खुशी, छा जाए भरपूर

अच्छे  दिन ज्यादा नहीं, भारत से अब दूर

 

कवि गाओ वह गीत अब, जिससे सदा विकास

तन में हो उत्साह प्रिय, मन में हो उल्लास

 

आपस में सद्भाव हो, सभी बने मन-मीत

ओज भरे स्वर में कवे, महकाओ कुछ गीत 

 

ऐसा जिससे नग हिले, विचले पारावार 

भरे देश हुंकार जब, बरसे धाराधार

 

पावन हो सबका ह्रदय, सुरभित हो संसार   

स्वाति बूँद से हो प्रकट, गजमुक्ता, घनसार

 

स्वागत है नव्-वर्ष का, जिसमे नव उत्कर्ष

विकसित सबका हिय-कमल  जगमग भारतवर्ष

 

भारत में ही भारती,  सबको बांटे ज्ञान

नए वर्ष में हो नया, उनका भी अभियान

 मौलिक/अप्रकाशित

 

                

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 24, 2014 at 8:58pm

स्वागत है नव्-वर्ष का, जिसमे नव उत्कर्ष

विकसित सबका हिय-कमल  जगमग भारतवर्ष

 

भारत में ही भारती,  सबको बांटे ज्ञान

नए वर्ष में हो नया, उनका भी अभियान

के कहने आदरणीय गोपाल नारायण जी, मन मुदित हुआ अभिनन्दन आपका और नव वर्ष का! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2014 at 12:44pm

राम शिरोमणि जी

आपका शत-शत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2014 at 12:43pm

आदरनीय  बागी जी

आपका कृतज्ञ हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2014 at 12:42pm

आ० सौरभ जी

गलती मेरी ही थी यदि संबोधन चिन्ह लगा देता तो आपको जरा भी समय न लगता i  सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2014 at 12:40pm

हरि प्रकाश  दुबे जी

कृतज्ञता ज्ञापन करता हूँ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2014 at 12:39pm

 आ 0 निकोर जी

आपके स्नेह का आभार i

Comment by ram shiromani pathak on December 24, 2014 at 12:47am
वाह बहुत ही प्यारे दोहे आदरणीय।।हार्दिक बधाई आपको

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 10:45pm

आहा ! नव वर्ष में नवकामना लिये सभी दोहे सुन्दर हुए हैं, बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2014 at 7:50pm

आपकी प्रस्तुति पर प्रतिक्रिया दे देने के बाद मुझे भान हुआ था कि कवि का सम्बोधन स्वरूप कवे हो सकता हो. और मैं आश्वस्त था कि यही अर्थ भी होगा. लेकिन तबतक मैं लॉग आउट हो चुका था.
आपके दोहा छन्दों के लिए पुनः बधाइयाँ.

Comment by Hari Prakash Dubey on December 23, 2014 at 6:04pm

 आनंद आ गया....आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव सर .हार्दिक  बधाई

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