For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘कवियों से मुझे नफरत है

घिन आती है उनके वजूद से

जैसे सच्चे मुसलमान को 

मूलधन के सूद से’

मुझसे कुबेर ने कहा

मैंने आघात को सहा

 

‘कवि तो मै भी हूँ

अँधेरे का रवि मै ही हूँ

जहाँ नहीं जाता रवि

वहां पहुँच जाता कवि 

फिर आपको घिन क्यों है ?’

 

‘वो बात जरा यों है,

कवि को गरीब ही दिखते है

उन पर ही लिखते हैं

उन्हें दिखता है –काली रात, अंधेरा

क्यों नहीं देख पाते वे सवेरा

हमारी सम्पन्नता क्यों नहीं लुभाती

अमीरों की याद उन्हें क्यों नहीं आती ?

सुख पर समृद्धि पर कलम नहीं चलती

अमीरों के ठाठ पर दाल नहीं गलती

इसीलिये घिन हमें होती है तुम से

सीधे नहीं होते तुम कुत्ते की दुम से’

 

मैंने कहा- ‘मै क्या लिखूं

विधि ने जब लिख दिया I

तुम संपन्न हो ईश्वर का हाथ है

गरीबो का हाथ ही उनका जगन्नाथ है

हमें केवल उनका असह्य दुःख दिखता है

जिन्हें भगवान् से भी कुछ नहीं मिलता है

तुम बेईमान, मक्कार घूस लेते हो 

गरीब की हड्डी-पसली चूस लेते हो   

तुम मुझे गाली दो या सारमेय कहो

भौंकते तो तुम भी हो, औकात में रहो I’

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on December 29, 2014 at 3:44pm

आदरणीय गोपालनारायण साहब ,सुन्दर प्रस्तुति है |तंज़ भी और करुणा भी |सादर अभिनन्दन 

मैंने कहा- ‘मै क्या लिखूं

विधि ने जब लिख दिया I

तुम संपन्न हो ईश्वर का हाथ है

गरीबो का हाथ ही उनका जगन्नाथ है

हमें केवल उनका असह्य दुःख दिखता है

जिन्हें भगवान् से भी कुछ नहीं मिलता है

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 29, 2014 at 12:31pm

सत्य को इतना बदसूरत बना रखा है कि उससे घिन ही आती है. चाहे परिणाम सदा उसी के पक्ष में हों. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकारें आदरणीय डा. गोपाल जी

Comment by Shyam Narain Verma on December 29, 2014 at 10:06am

बेहद उम्दा हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 29, 2014 at 6:54am

आदरणीय बड़े भाई , सुन्दर,  सार्थक  कविता हुई है  । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by somesh kumar on December 28, 2014 at 11:34pm

कविता स्वयं में  सफल है ,पर क्या वास्तव में कवि केवल गरीब के गीत ही लिखता है या क्या केवल गरीबी और बेबसी के गीत लिखने वाले को ही कवि माना जाए |वस्तुतः कई बार महसूस होता है कि ऐसा लिखकर हम गरीब और कवि दोनों का तिरस्कार कर रहे हैं |बेशक अभावों में कवि पलता है पर सफल कवि पेट भरने के बाद ही लिख पाता है |उसकी सफ़लता से ही उसका पेट पलता है |क्षमा करें कवि का कर्म केवल लिखना है और वो समय और लोगों के हिसाब से गीत लिखता है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2014 at 8:19pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर इस शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 28, 2014 at 7:46pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर...

कवि को गरीब ही दिखते है

उन पर ही लिखते हैं.....बहुत सुन्दर ! हार्दिक बधाई ! सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 6:45pm

बड़ी बात कह गये आदरणीय, कविता भाव स्तर पर बहुत बढ़िया लगी, बधाई स्वीकार करें . मुझे जाने क्यों रचना कुछ अधिक शाब्दिक लगी, सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2014 at 6:27pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर बेहतरीन रचना है वाकई एक कवि जो देख सकता है वो एक आम आदमी नहीं कवि यदि आप जैसा अनुभवी व्यक्ति हो तो वो हर पर्दे के पीछे छुपा सच देख सकता है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय आपको इस कामयाब रचना के लिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। आ. भाई तिलकराज जी की बात से सहमत…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सजल का प्रयास अच्छा हुआ है। कुछ अच्छे शेर हुए हैं पर कुछ अभी समय चाहते…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई गजेन्द्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा, मार्गदर्शन और स्नेह के लिए हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, गजल का सुंदर प्रयास हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी सादर अभिवादन। एक जटिल बह्र में खूबसूरत गजल कही है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service