For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- वरना मेरा इबादत से रिश्ता नहीं!

212 212 212 212

मैं तो मरता हुँ पर प्यार मरता नहीं!
इश्क का भूत मन से निकलता नहीं!!

हाल क्या हो गया देख रो रो मेरा!
सबको दिखता है पर तुझको दिखता नहीं!!

किस गली किस शहर में कहाँ पे है तू!
दिल मेरा मुझसे अब ओर थमता नहीं!!

हो जो बस में मेरे तो मैं नफरत करूं!
क्या करूं आपसे प्यार घटता नहीं!!

लोग कहते है मौसम सुहाना है अब!
सबको लगता है पर मुझको लगता नहीं!!

साँस आती नहीं उसको देखें बिना!
उसको देखें बिना चैन मिलता नहीं!!

वो जो है सामने तो खुदा सामने !
वरना मेरा इबादत से रिश्ता नहीं!!

इतना रोता है 'राहुल' जो, क्या बात है!
बात यह है कि वो बस समझता नहीं!!

मौलिक व अप्रकाशित!

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 3, 2015 at 8:16pm

आदरणीय राहुल भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है , आपको मेरी दिली बधाइयाँ ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 2, 2015 at 8:18pm
मेरे आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी मैं आपके सुझाव पर अवश्य गौर करुंगा सादर धन्यवाद!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2015 at 7:55pm
आदरणीय राहुल भाई बहुत प्यारी ग़ज़ल हुई है गुनगुनाने में आनंद आया। इस प्रस्तुति पर बधाई। एक सुझाव है इतनी प्यारी ग़ज़ल में इश्क़ का भूत शब्द जम नहीं रहा है ।
मतले में ही... मैं तो मरता हूँ को "लोग मरते है पर प्यार मरता नहीं "कर सकते है। बस मतला थोड़ा सा बदल ले तो बेहतरीन ग़ज़ल निकलकर आएगी। सादर। बाकि गुणीजनों की टिप्पणी की प्रतीक्षा करे।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 6:40pm

 सुन्दर प्रयास आदरणीय राहुल जी ,हार्दिक बधाई !

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 2, 2015 at 4:56pm
आदरणीय गुनीजनों से विनती है कि क्रपया मेरी छोटी छोटी कमीयों को भी अनदेखा न किया करें! मुझे मेरी हर कमी से अवगत कराया करें! जिससे अच्छा लिख सकूं ! हम नये सीखने वालो को हौसला और आलोचना बराबर मात्रा में चाहिए! सादर नमन!
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 2, 2015 at 1:44pm
आदरणीय khursheed khairadi जी सादर धन्यवाद स्वीकार करें!
Comment by khursheed khairadi on January 2, 2015 at 1:35pm

आदरणीय डांगी साहब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है | सादर अभिनन्दन |

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 2, 2015 at 1:26pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर धन्यवाद! मैं आपके सुझाव पर अवश्य गौर करुंगा! सादर!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 2, 2015 at 1:21pm

दागी जी

बड़ी जोरदार शायरी हुयी है i आपको बधाई i  शुरू में आपका संवाद -सबको दिखता है पर तुझको दिखता नहीं --यहाँ संबोधन तुम करके है i बादमे यह तुम  'वो' हो जाता है-- सांस आती नहीं उसको देखे बिना  i यह बिखराव क्यों ? तुम कहा था तो तुम ही लेकर चलते  तो ज्यादा मजा आता  i मगर फिर भी बहुत अच्छी सोच आपकी रही है i  सस्नेह i

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 2, 2015 at 10:48am
आदरणीय सोमेश जी सादर धन्यवाद स्वीकार करें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service