For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू देव-रूप है मेरे लिए

तू देव रूप है मेरे लिए ---

मुझे तराशा  है तेरे प्यार ने

मुझपे ऐतबार कर

तू देव रूप है मेरे लिए,मेरी

पूजा स्वीकर कर

मैं तो दलदल था,कमल पुष्प

खिलाए तुमने मुझमें

मृत था मेरा ये उर

एहसास पुनः जगाए तमने मुझमें

उठ,खड़ी हो,मजबूत बन

अपनी कोशिश ना निराधार कर

तू देव रूप है मेरे लिए -----------

जब सारे ज़माने ने

मुझ से मुँह फेर लिया

जब सघन तिमिर ने

मुझ को घेर लिया

तुम आई मेरी ज़िन्दगी में

किरण का आधार बन

तू देव रूप है मेरे लिए -------------

माना मैंने तुझे गढ़ा

पर उससे पहले पढ़ा

तुम्हें रच मेरा यकीन जागा

तुम्हें देख किया पुनःप्रेम-ईरादा

तो उठ इस प्रेम का अब विस्तार कर

तू देव रूप है मेरे लिए -------------

माना बिछड़ना है हमारी तकदीर

पर क्यों मन को करती अधीर

पूर्णता कहाँ देता है प्रेम को साकार

तो चल इसे अब निराकार कर

तू देव रूप है मेरे लिए

.

सोमेश कुमार

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

 

Views: 417

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on January 8, 2015 at 5:07pm

भाई लोगों का प्यार सिर-आँखों पर पर गुर-जनों का आशीष लेखन को एक नई शक्ति और नया चिंतन देता है |आप सभी के प्रेम और स्नेह के लिए थे दिल से बधाई |त्रुटी ईंगित करने के लिए गणेश सर आपका आभार ,आगे पूरी कोशिश रहेगी की ऐसी त्रुटियों से बचूं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2015 at 9:03pm

आ. सोमेश भाई , सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 7, 2015 at 1:47pm

//

एहसास पुनः जगाए तमने मुझमें

उठ,खड़ी हो,मजबूत बन

अपनी कोशिश ना निराधार कर//

सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई सोमेश जी.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2015 at 5:32am
सुन्दर, प्लेटोनिक , बधाई , आदरणीय सोमेश जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 6, 2015 at 10:33pm
सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 6, 2015 at 7:40pm

सोमेश जी

प्यार दोनों पक्षो को सवारता है i आपने सही लिखा - माना मैंने तुझे गढा i  पर उससे पहले तुम्हे पढा i मुझे अपना एक गीत याद आ गया-

प्रिय दर्शन हो तो इससे क्या , मैंने तुमको प्यार बनाया

तुममे जो था शांत उसी को आलंबन शृंगार बनाया i

            मेरे मन की रस गंगा हो जाकर सागर में मिल जाना

            मैं जी लूँगा साथी मेरे पर तुम मुझको याद न आना

Comment by Hari Prakash Dubey on January 6, 2015 at 5:10pm

बेहतरीन सोमेश भाई, बस थोडा और प्रवाह लाना है ,हार्दिक बधाई !

Comment by maharshi tripathi on January 6, 2015 at 5:05pm

सुन्दर रचना |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service