पूर्ण नहीं हूँ मैं
मुझे उपमा ना बना
प्यार को प्यार रहने दे
इसे रिश्ता ना बना |
आदमी मैं भी हूँ
जज्बात समझता हूँ
हिकार ना कर उसकी
मुझे देवता ना बना |
एक फ़ासले के बाद
लौटना ठीक नहीं
मुझे मंजिल ना समझ
उसे रस्ता ना बना |
किनारे मैं हूँ खड़ा
मझदार में तू
कोई तो फैसला कर
उसे उलझा ना बना |
.
सोमेश कुमार (मौलिक एवं अमुद्रित )
Comment
प्यार को प्यार रहने दे
इसे रिश्ता ना बना |
आदमी मैं भी हूँ
जज्बात समझता हूँ
हिकार ना कर उसकी
मुझे देवता ना बना |----वाह ! बहुत सुंदर प्रस्तुति
सभी मित्रों और सम्मानीय सदस्यों का आभार ,निवेदित है कि अगर कोई सुधार अपेक्षित लगे तो अवश्य सूचित करें ,यद्यपि मैं एक स्लो-लर्नर हूँ और नियमों की अपेक्षा अभ्यास और सुधार से सीखने में यकीन रखता हूँ परंतु अगर आप लोग त्रुटियों से अवगत नहीं कराएँगे तो सिर्फ आत्म-मुग्धा में लिखता रहूँगा |अधिकांश लोगों की तरह अलग से सम्बोधित टिप्पणी नही देता इसके लिए भी क्षमा करें |
प्रेम त्रिकोण को एक सुलझे नज़रिए से प्रस्तुत करती सुन्दर कविता
हार्दिक बधाई आ० सोमेश जी
सोमेश भाई, आपकी यह प्रस्तुति ध्यान आकर्षित करती है, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें.
आदरणीय सोमेश भाई , बढ़िया बात कही है ,
पूर्ण नहीं हूँ मैं
मुझे उपमा ना बना
प्यार को प्यार रहने दे
इसे रिश्ता ना बना |
आदमी मैं भी हूँ
जज्बात समझता हूँ
हिकार ना कर उसकी
मुझे देवता ना बना | -- हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय सोमेश भाई ।
पूर्ण नहीं हूँ मैं
मुझे उपमा ना बना
प्यार को प्यार रहने दे
इसे रिश्ता ना बना |.......सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई , सोमेश भाई !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online