For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : फेस वैल्यू (गणेश जी बागी)

"चंद्रा साहब कवि सम्मलेन कैसा रहा ? इस कार्यक्रम का टोटल मैनेजमेंट मेरे द्वारा ही किया गया था."

"गुप्ता जी मैं कोई साहित्यकार तो हूँ नहीं किन्तु खचाखच भरा सभागार, श्रोताओं के कहकहे और तालियों से लगा कि कार्यक्रम सफल रहा. किन्तु मुझे एक बात समझ में नहीं आयी कि वो दो लड़कियां... अरे क्या नाम था ... हां कविता ‘क्रंदन’ और शबनम ‘सिंगल’, इन्हें क्यों मंच पर बैठाया गया था, वो दोनों क्या पढ़ रहीं थीं ... यार मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पड़ा."

"हा हा हा, लेकिन सीटियाँ और तालियाँ तो बजी न ! और दोनों.....माशाअल्लाह.... खुबसूरत भी हैं."

"किन्तु गुप्ता जी, क्या खूबसूरती ही सब कुछ है, भई टैलेंट भी कोई चीज होती है."

"आप नहीं समझेंगे चंद्रा साहब, फेस वैल्यू भी कोई......."

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : न्यू ट्रेंड 

Views: 977

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 9, 2015 at 12:48pm

हा हा हा कमाल करते हैं आदरणीय खुर्शीद खैराड़ी साहब खैर .....उत्साहवर्धन और सराहना हेतु दिल से आभार.

Comment by Sushil Sarna on January 9, 2015 at 12:35pm

हा हा हा   .... क्या बात क्या बात है आदरणीय वर्तमान में बजने वाली तालियों का कितना सुंदर अर्थ दर्शाया है आपने अपनी इस लघु कथा में। इस भौतिकवादी युग में यथार्थ खामोशी के आवरण में स्वयं को समेटे है और आडंबर का भीड़ में 'फेस वेल्यू ' का बोल बाला है। इस सार्थक और सफल लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 9, 2015 at 12:29pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया अर्चना जी.

Comment by Shyam Narain Verma on January 9, 2015 at 12:12pm

बेहतरीन लघुकथा,,बधाई आपको

 सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 9, 2015 at 11:44am

आदरणीय भाई गणेश जी इस बेहतरीन लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई . साहित्य के क्षेत्र में इस फेस वेल्यु के जनक (अगर में ग़लत नहीं हू तो) राजेंद्र यादव जी कहे जाते है .पर इतिहास इसे महत्व नहीं देता .

Comment by khursheed khairadi on January 9, 2015 at 11:18am

हा. हा.. हा... आदरणीय बागी सर 'फेस वेल्यु ' की बात कहकर आपने मुझ सरीखे नव सर्जकों को हतोत्साहित सा कर दिया है |सादर अभिनन्दन |

Comment by Archana Tripathi on January 9, 2015 at 1:24am

बेहतरीन लघु कथा
दिन-प्रतिदिन नारी स्वयं को नुमाइशी वस्तु बनाती जा रही है।
कभी-कभी समझ नहीं आता की प्रोग्राम किसके लिए चल रहा है।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:45pm

आपके कहे से सहमत हूँ आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, लघुकथा पसंद करने हेतु आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 8, 2015 at 8:30pm

जी आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, यह मैनेजमेंट ही है जो साहित्य को बजारू बना दिया है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 8, 2015 at 8:26pm

आदरणीय बागी जी

बहुत ही बेहतरी कथा i फेस वैल्यू के लिए कितने घटिया हथकंडे अपनाते है लोग  i ऐसा भी देखने में आया है कि धार्मिक कार्यक्रमों में भी इसी फेस वैल्यू के लिए अश्लील बॉलीवुड नृत्य करने हेतु लड़कियां बुलाई जाती है i  धन्य है ऐसी फेस  वैल्यू i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service