For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

युग्मों का गुलदस्ता …

युग्मों का गुलदस्ता …


एक  पाँव  पे  छाँव  है  तो  एक  पाँव  पे   धूप
वर्तमान  में  बदल  गया  है  हर रिश्ते का रूप


अब  मानव  के  रक्त  का  लाल  नहीं   है   रंग
मौत  को  सांसें  मिल  गयी  जीवन हारा  जंग


निश्छल प्रेम अभिव्यक्ति के बिखर गए हैं पुष्प
अब  गुलों  के  गुलशन  से  मौसम  भी  हैं रुष्ट


तिमिर  संग  प्रकाश  का  अब  हो गया  है मेल
शाश्वत  प्रेम अब बन गया है शह मात का खेल


नयन  तटों  पर  अश्रु  संग  काजल  करे पुकार
पिया  मिलन  को  धधक  रहे  अधरों पे  अंगार

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2015 at 9:30am

आदरणीय    khursheed khairadi    जी युग्मों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा। 

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2015 at 9:30am

आदरणीय    गिरिराज भंडारी   जी युग्मों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा। 

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2015 at 9:30am

आदरणीय   Hari Prakash Dubey   जी युग्मों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। प्रत्युत्तर में विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा। 

Comment by Sushil Sarna on January 16, 2015 at 9:28am

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी रचना  पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। आपके सुझाव का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ आपने इतना समय दिया इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ सर। 

Comment by khursheed khairadi on January 11, 2015 at 7:06pm

आदरणीय सुशील सरना सर  ,सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 10, 2015 at 8:09pm

आदरणीय सुशील सरना भाई , बहुत सुन्दर भाव पूर्ण युग्म  रचे हैं आपने , हार्दिक बधाइयाँ स्वेकार करें । आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी की बात से सहमत हूँ , दोहों के बहुत करीब रचना है , चाहें तो दोहों मे बदल सकते हैं । सादर ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 10, 2015 at 5:49pm

तिमिर  संग  प्रकाश  का  अब  हो गया  है मेल 
शाश्वत  प्रेम अब बन गया है शह मात का खेल......इस शानदार रचना के लिए हार्दिक  बधाई , आदरणीय सुशील सरना जी . सादर !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 10, 2015 at 2:05pm

आदरणीय सरना जी

आपके युग्म  दोहा विधा के इतने नजदीक थे कि मैं अपने को रोक नहीं सका और उनका संपादन कर दिया i कोई रचना यदि किसी छंद विधा के आस पास हो तो छंद को फिर स्वीकार ही क्यों न कर लिया जाय i  मैंने शब्द आपके ही यथासंभव रखे ---  खैर  i आपकी काव्य भावनाओं का मैं हमेशा ही  प्रशंसक रहा  हूँ i इसमें संदेह नहीं है कि आप अच्छा  बहुत अच्छा  लिखते है i सादर i

Comment by Sushil Sarna on January 10, 2015 at 1:05pm

आदरणीय  ajay sharma जी युग्मों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। आपका सुंदर सुझाव का हार्दिक आभार लेकिन मुझे मेरे सृजन में भी कोई त्रुटि या गेयता में कोई ख़ास फर्क नज़र नहीं आ रहा।आपके स्नेह का हार्दिक आभार।   

Comment by Sushil Sarna on January 10, 2015 at 1:02pm

आदरणीय   मिथिलेश वामनकर  जी युग्मों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service