" बहुत बहुत बधाई जन्मदिन की, आज तो पार्टी बनती है " , ऑफिस पहुँचते ही सहकर्मियों ने घेर लिया शर्माजी को | एक बारगी तो वो सोच ही नहीं पाये कि कैसे प्रतिक्रिया दें इस पर , उनसठवां जन्मदिन था उनका | अगले साल सेवानिवृत्त हो जायेंगे और घर में बेरोज़गार पुत्र एवम शादी के योग्य पुत्री |
चेहरे पे फीकी मुस्कान लाते हुए सबका आभार व्यक्त करने लगे और आवाज लगायी " सबके लिए नाश्ते का इंतज़ाम आज मेरी तरफ से कर देना भोला " | सब प्रसन्न थे पर उनके मन में यही चल रहा था कि ऐसा जन्मदिन किसी का न हो |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आभार मिथिलेश वामनकर जी..
आभार हरिकिशन ओझा जी..
आभार सोमेश कुमार जी ..
पिता.. अंदर से कुछ और , बाहर से कुछ और. बहुत सुंदर लघुकथा, बधाई आदरणीय विनय जी.
सफल लघुकथा. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय विनय जी
पिता की मनोवेदना और समाजिक-सरोकार निभाने की विवशता को बहुत अच्छे तरीके से दिखाया है |बधाई इस लघुकथा पर
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