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अच्छे दिन

दिखे हैं अभी इश्तिहारो में अच्छे दिन|

या सुनता हूँ  बस नारों में अच्छे दिन|

सड़क पर बेचता है खिलौना अभी भी बच्चा

तेल सस्ता हुआ तो कारों के अच्छे दिन|

दिहाड़ी- मजदूर चौराहे पर खड़ा बेरोजगार

सजी दूकानें हैं तो बाजारों के अच्छे दिन|

घोटालेबाज बरी , अफसर की तब्दीली

खूब समझते हैं इशारों के अच्छे दिन|

किसान करे खुदखुशी, हाथ बस मायूसी

 हैं खेत हड़पते सिसियाते  अच्छे दिन|

पी. के. पर विवाद, ऍम.एस.जी पर सेंसर कुर्बान

यही है मजहबी, नारों के अच्छे दिन|

58 पर सीलिंग हमें,ताउम्र तुम्हारी सियासत

सरकारी मुलाजिम भी समझ रहें है तुम्हारे अच्छे दिन|

ढूंढता हूँ अभी कहाँ है हमारे अच्छे दिन

किरण मोहरा राजनीति ने देखा मराठा हरियाणा

आम आदमी की नजर पहचानती है तुम्हारी अच्छे दिन|

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

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Comment

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Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 4:13pm
आ. सोमेश जी , बेहद खूबसूरती से शब्दों को समायोजित करते हुए सामायिक रचना की आपने । पढकर अच्छा लगा । आभार
Comment by Hari Prakash Dubey on January 19, 2015 at 7:16pm

 सोमेश भाई कुछ दिनों से आपकी कमी खल रही थी ....बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई आपको !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 19, 2015 at 5:41pm

सामयिक कह लो, या फिर अनवरत. 'अच्छे दिन' की बस! यही कल्पनायें हैं. बहुत-२ बधाई आदरणीय सोमेश भाई जी

Comment by maharshi tripathi on January 19, 2015 at 2:34pm

अच्छी रचना पर आपको बधाई आ. सोमेश जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 19, 2015 at 2:25pm

सोमेश जी

बहुत अच्छे संदर्भो से अच्छे दिनों को आपने जोड़ा i बधाई हो i

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 4:15am
आदरणीय सोमेश कुमार जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बहुत से विषयों को लेते हुए एक प्रभावशाली रचना।
बहुत बहुत बधाई, सादर।
Comment by somesh kumar on January 18, 2015 at 10:58pm

शुक्रिया ,वक्त ना मिलने के कारण काव्य-उत्सव में शिरकत नहीं कर सका और इस कविता पर काम करने का भी अधिक मौक़ा ना मिला ,फिर भी मंच पर इस रचना की स्वीक्रति के लिए आ.सम्पादक महोदय का आभार |रचना पढ़ कर उस पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए मिथिलेश वामनकर भाई जी आपका भी शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2015 at 10:45pm

आदरणीय सोमेश भाई जी अच्छे दिनों पर कविता में अच्छा व्यंग्य है. इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

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