खामोशी ने ऐसी खता की
बात न की पर उसने जता दी
दिए हैं उसने ज़ख़्म अगर तो
दवा भी उसने हमें लगा दी
न जाने क्या-क्या था सोच रखा
मिला जो उसने , शरत लगा दी
मेरी अना थी , गुरूर उसका
मगर ये रिश्ते में इक वफ़ा थी
खत इक लिखा , फिर ज़वाब उसका
था काम इतना , उमर लगा दी
बग़ैर उसके , सफ़र कहाँ था
कभी था चेहरा , कभी सदा थी
अजय कुमार शर्मा
मौलिक प्रकाशित
Comment
बहुत ही सुन्दर शब्द संयोजन! बेहतरीन गजल!
खामोशी ने ऐसी खता की
बात न की पर उसने जता दी - वाह ! मौन रहकर सब कुछ कह देना
दिए हैं उसने ज़ख़्म अगर तो
दवा भी उसने हमें लगा दी | - - बहुत खूब | उम्दा भाव गजल के लिए बधाई श्री अजय कुमार शर्मा जी
बग़ैर उसके , सफ़र कहाँ था
कभी था चेहरा , कभी सदा थी --------- लाजवाब बात कही ! बधाइयाँ आदरणीय अजय भाई ।
गज़ब ढा दिया आदरणीय अजय जी .......खत इक लिखा , फिर ज़वाब उसका ..था काम इतना , उमर लगा दी....बहुत सुन्दर !
बहुत सुंदर रचना, बधाई
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