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ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२ २१२ २२


गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता


लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता


मौत तेरे बुलावे से
अब किनारा नहीं होता


तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता


है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 732

Comment

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Comment by maharshi tripathi on January 20, 2015 at 3:02pm

बहुत  अच्छी गजल ,बधाई ,आ. गुमनाम  जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 20, 2015 at 12:28pm

तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता

है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता--------------------अति सुन्दर मित्र i क्या बात है !

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 20, 2015 at 8:37am
अच्छी ग़ज़ल बनी , आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, बधाई, सादर।
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 20, 2015 at 6:59am
आदरणीय बहुत सुन्दर गजल

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2015 at 3:14am

लूटते प्यासे ये सागर 
गर ये खारा नहीं होता........ कमाल का शेर 

तेरी सौगात है वरना 
जख्म प्यारा नहीं होता..... क्या खूब कही है 

कुछ अशआर और हो जाए तो कमाल की ग़ज़ल होगी गुमनाम सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 19, 2015 at 11:02pm
आदरणीय गुमनाम सर छोटी बह्र की उम्दा ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 10:13pm

// तेरी सौगात है वरना ,जख्म प्यारा नहीं होता // , बहुत प्यारी ग़ज़ल ..

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