For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"भीखू, तुम्हारे बेटे पर चौधरी साहब की बेटी से बलात्कार करने का अपराध साबित हो गया है। अब पंचायत अपना फैसला सुनाएगी।"
"मैं भरी पंचायत में यह यकीन के साथ कह सकता हूँ यह मेरा बेटा नहीं हो सकता है। हमारे खून में इतनी हिम्मत नहीं है किसी के साथ जबरदस्ती करे। यह जरूर किसी.........।"


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनोद खनगवाल on January 23, 2015 at 3:40pm
आप सभी सुधीजनों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।
Comment by विनोद खनगवाल on January 23, 2015 at 2:53pm
आदरणीय योगराज जी जब यह लघुकथा लिखी थी मुझे नहीं पता था। यह विभिन्न पक्षों को उजागर करेगी। आपकी टिप्पणी ने मुझे काफी उत्साहित किया है। आभार आपका।
Comment by savitamishra on January 23, 2015 at 12:08pm

धो डाला आपने उजले चरित्र धारियों को ..बहुत बढ़िया


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 23, 2015 at 10:16am

बहुत गहरी बात कह दी भाई विनोद खनगवाल जी, वाह वाह ! बिना कहे ही कह डाला कि ऐसे व्यभिचारियों की रगों में किसी और का ही खून दौड़ रहा है। इस सुन्दर लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है।  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 10:39pm

बहुत दूर तक मार करती है आपकी यह लघुकथा, जो बात कही गयी वह कम महत्वपूर्ण है किन्तु जो बातें अनकही है वह काफी महत्वपूर्ण है और यही लघुकथा की खूबसूरती भी है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनोद जी.

Comment by Hari Prakash Dubey on January 22, 2015 at 8:05pm

आदरणीय विनोद जी सुन्दर  लघुकथा बधाई आपको !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 22, 2015 at 7:59pm

न कम, न ज्यादा. बेहतर लघुकथा आदरणीय विनोद जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 22, 2015 at 7:04pm
तथ्य के मर्म को संप्रेषित करने में सफल लघुकथा।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 22, 2015 at 6:58pm

रचना अच्छी लगी कई सामाजिक विभेद के चित्र सामने आ गए //// बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 22, 2015 at 12:36pm

विनोद जी

कमाल की पंच लाइन है i समाज के उच्च वर्ग  की प्रवृत्तियों की पोल खोलती i  बधाई हो i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service