एमबीबीएस की स्टूडेंट मुस्कान तीन सालों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। जिसकी खबर लगते ही पूरे घर में हंगामा हो गया।
"मेरी पोती होकर तुम ऐसा काम कर रही हो मैंने कितनी मेहनत से समाज में अपनी इज्जत बनाई है........"
"नाजायज संबंध रखने वाली मेरी बेटी तो कतई नहीं हो सकती। बदचलन कहीं की। हमारे प्यार और विश्वास का ये शिला दे रही हो। अभी बनाता हूँ तुम्हें डॉक्टर.........."
"पापा, बहुत हो गया आप लोगों का ड्रामा! रवि एक बहुत अच्छा इंसान है हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं अपनी पढाई पूरी करने के पश्चात हम दोनों शादी करेंगे। मैंने खुद आपको कितनी बार नौकरानी के तलवे चाटते देखा है और आप मेरे सच्चे प्यार को नाजायज ठहरा रहे हो। दादा जी जब आप उस कोठेवाली रेशमा के पास जाते हो तब तो आपकी इज्जत खराब नहीं होती!"
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
Badhaayi Aadhraniya Vinod Khanagwal sir.
Khare khare shabado me aaeinaa dikhati lazawaab rachna.
Lekin kya 'live-in-relatioship" ka ye rishta sabi jagah itani hi imaandaari se nibhaaya jaata hai.......??
अच्छी लघुकथा. इसे पढ़कर एक क्षेत्रीय कहावत की याद आ गई " भुआ ससुराल छोड़के, मायके में बैठी है और भतीजी से कह रही है कि ससुराल में सबकी सेवा करना" बहरहाल बधाई आपको आदरणीय विनोद जी
नैतिकता की दुहाई देने वाले बुजुर्गों की पोल खोलती सुंदर रचना के लिए बधाई श्री विनोद जी
आदरणीय विनोद जी “लिव इन रिलेशनशिप” वास्तव में बहस का विषय हो सकता है, वो अलग बात है , पर आपकी ये लघुकथा कई तरह की छिपी हुई रिलेशनशिप पर सटीक प्रहार कर रही है , सार्थक लघुकथा ,हार्दिक बधाई ! सादर
पूरा घर ही कमाल का है सभी सदस्य लगभग नैतिकता की सीमाएं लांघ चुके है, एक दूसरे को आईना दिखाकर गलतियाँ गिना रहे है, लग रहा है, होड़ लगी हो कि तेरी गलती मेरी गलती से बड़ी या छोटी, यही सिद्ध करने का प्रयास हो रहा है. ड्रामा ही ड्रामा... इस घर में वाकई प्यार और विश्वास को शिला (पत्थर) बना दिया है. लिव इन रिलेशनशिप से रेशमा के कोठे तक की दास्तान यानी बड़ा व्यापक विस्तार .... आदरणीय बागी सर की सटीक टिप्पणी - हा हा हा हा, मतलब खानदानी चरित्रहीनों की कहानी है - को दोहराते हुए इसे लघुकथा के कच्चे प्लाट के रूप में देख रहा हूँ. इसे लघुकथा बनने में समय है.
ये क्या है ? लघुकथा कहना क्या चाहती है ?
किसी अतिरेक को व्यापक बनाना कुछ समझ में नहीं आया.
शुभेच्छाएँ
इस लघुकथा में जो थीम पे बात कहने की कोशश की गई , मेरी समझ मुताबिक अगर इस का कथा को मजबूती से उभारा जाता तो अच्छा होता , इस तरह एक बात को सही जतलाने दूसरी बात का सहारा लेने की कोशिश करना
जिसका बड़ा भाई हो शराबी, छोटा पिए तो है क्या खराबी !!
हा हा हा हा, मतलब खानदानी चरित्रहीनों की कहानी है, लिव रिलेशनशिप और सच्चा प्यार ......खैर यह विवादास्पद और चर्चा का विषय है.
//"पापा, बहुत हो गया आप लोगों का ड्रामा"//
अगर दिल से कहूँ तो इस लघुकथा में कथा कम और ड्रामा ही अधिक दिखा.
सादर
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