For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फंस गया चुंगल में जब शैतान के
हौसले बढने लगे इंसान के

तुमसे ये लग़ज़िश न हो जाए कहीं
हम बहुत पछताए दिल की मान के

उन से कह दो छोड़ दें भारत मिरा
लोग जो हामी हैं पाकिस्तान के

आप क्यूं ज़हमत उठाते हैं जनाब
ख़ुद ही दुश्मन हैं हम अपनी जान के

फ़िक्र उक़्बा की न दुनिया का ख़याल
सो गए ग़फ़लत की चादर तान के

बरकतें होने लगीं नाज़िल "समर"
पाँव घर में क्या पड़े महमान के

समर कबीर /मौलिक रचना अप्रकाशित

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 27, 2015 at 10:47pm
अतुल जी, बहुत बहुत शुक्रिया|
Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 10:30pm

Wah samar kabeer sahab.. bahut khoob

Comment by Samar kabeer on January 27, 2015 at 3:35pm
जनाब लक्ष्मण धामी जी, बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 27, 2015 at 10:45am

उन से कह दो छोड़ दें भारत मिरा
लोग जो हामी हैं पाकिस्तान के

आ० समर  भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हर शेर गहरी बात लिए है . हार्दिक बधाई .

Comment by Samar kabeer on January 26, 2015 at 5:30pm
मोहतरमा महिमा श्री जी,
शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on January 26, 2015 at 5:11pm
जनाब राहुल डांगी साहिब बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by MAHIMA SHREE on January 26, 2015 at 5:08pm

आप क्यूं ज़हमत उठाते हैं जनाब
ख़ुद ही दुश्मन हैं हम अपनी जान के

फ़िक्र उक़्बा की न दुनिया का ख़याल
सो गए ग़फ़लत की चादर तान के.....बहुत खूब...बधाई

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 26, 2015 at 5:04pm
आदरणीय एक एक शे'र लाजवाब मजा आ गया वाह!
Comment by Samar kabeer on January 26, 2015 at 4:04pm
जनाब शिज्जू "शकूर" साहिब ,आदाब , मेरी ग़ज़ल का मतला आप की समझ में नहीं आ रहा है, यही शिकायत मेरे भाई गिरिराज भंडारी जी और भाई ख़ुरशीद ख़ैराडी जी की भी है| मै मतले की ताशरीह यह करूंगा कि "शैतान बुराइ का प्रतीक है,और इंसान जब बुराई मे लिप्त हो जाता है तो उसके दिल से ईश्वर का डर व सम्मान पूरी तरह निकल जाता है और उसका हौसला इतना बढ़ जाता है कि वह ईश्वर से भी बग़ावत करने से नहीं चूकता ,इस तरह की कई मिसालें दुनिया के इतिहास में देखने को मिल सकती हैं एक,नेक(अच्छा) इंसान जो कोई बुराई करने से डरता है और शैतान के चुंगल में फंसने के बाद उसमे इतना हौसला आ जात है कि वह उस बुराई को कर गुज़रता है"उम्मीद है मेरे भाईयों कि आपका इतमिनान शायद हो गया होगा|
Comment by Samar kabeer on January 26, 2015 at 3:08pm
भाई मिथिलेश वामनकर जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ ग़ज़ल पसंद करने के बहुत बहुत शुक्रिया!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं समस्त ओबीओ परिवार को। प्रयासरत हैं लेखन और सहभागिता हेतु।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

नवगीत : सूर्य के दस्तक लगाना // सौरभ

सूर्य के दस्तक लगाना देखना सोया हुआ है व्यक्त होने की जगह क्यों शब्द लुंठित जिस समय जग अर्थ ’नव’…See More
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday

© 2026   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service