"यार,काव्य-गोष्ठी तो बहुत कर लीं पर काव्य-सम्मेलनों से बुलावा नहीं आता |"
"अरे मिट्टी के माध, अच्छी कविता लिखना–पढ़ना ही काफ़ी नहीं|"
"तो !"
"तोता बनना सीखो |"
"कैसे?"
"सज्जन के घर राम-राम |और चोर के घर-माल-माल |और फिर पाँचों अंगुलियाँ घी में | "
.
सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
Priya SomeshJi,
Badhai.
Kaas main Yes man Hota
duniya main sab sukh pata.
vaah
बहुत खूब
हाहाहा ----बढ़िया कटाक्ष किया है .हार्दिक बधाई
बढ़िया कटाक्ष, आदरणीय सोमेश भाई जी. बधाई
सोमेश भाई सुन्दर प्रस्तुति , (अरे मिट्टी के माध......ये शायद...मिट्टी-के माधो होगा देख लीजियेगा) , हार्दिक बधाई !
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