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"यार,काव्य-गोष्ठी तो बहुत कर लीं पर काव्य-सम्मेलनों से बुलावा नहीं आता |"

"अरे मिट्टी के माध, अच्छी कविता लिखना–पढ़ना ही काफ़ी नहीं|"

"तो !"

"तोता बनना सीखो |"

"कैसे?"

"सज्जन के घर राम-राम |और चोर के घर-माल-माल |और फिर पाँचों अंगुलियाँ घी में | "

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 730

Comment

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Comment by Shyam Mathpal on January 31, 2015 at 3:07pm

Priya SomeshJi,

Badhai. 

Kaas main Yes man Hota

duniya main sab sukh pata.

Comment by savitamishra on January 31, 2015 at 2:08pm

vaah


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 31, 2015 at 4:04am

बहुत खूब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 30, 2015 at 8:59pm

हाहाहा ----बढ़िया कटाक्ष किया है .हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 30, 2015 at 8:37pm

बढ़िया कटाक्ष, आदरणीय सोमेश भाई जी. बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on January 30, 2015 at 6:44pm

सोमेश भाई सुन्दर प्रस्तुति ,  (अरे मिट्टी के माध......ये शायद...मिट्टी-के माधो होगा  देख लीजियेगा) , हार्दिक बधाई !

 

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