कुछ तो आपस मे बनी रहने दे
आसमाँ तेरा सही मेरी ज़मीं रहने दे
बिछड़ के होगा तुझे अफ़सोस इस खातिर
अपनी आँखों में नमी रहने दे
मिल गया तू मुझे , तो फिर क्या होगा
मेरे मौला ये कमी रहने दे
मेरे ईमान की आँखें बे-नूर हो जाएँ
तरक़्क़ी तू मुझे ऐसी रोशिनी रहने दे
गैरों पे यक़ीन करना पड़े , "अजय"
तू मुझसे ऐसी दुश्मनी रहने दे
अजय कुमार शर्मा
मौलिक & अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अजय भाई , अच्छी रचना की है , बधाइयाँ ।
आदरणीय अजय जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ...
कुछ तो आपस मे बनी रहने दे
आसमाँ तेरा सही मेरी ज़मीं रहने दे.... बहुत खूब
sabhi gurjano ka hridayatal ki gahrayio se dhnayawad
उम्दा रचना कही आप जी ने बधाई हो
गैरों पे यक़ीन करना पड़े , "अजय"
तू मुझसे ऐसी दुश्मनी रहने दे -कमाल का मक्ता
सुन्दर रचना और भाव
आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी सुन्दर रचना ...मिल गया तू मुझे , तो फिर क्या होगा
मेरे मौला ये कमी रहने दे.....इन पंक्तियों पर विशेष बधाई !
आ० अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई .
बहुत खूब
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