Comment
ये आवाज़ों का जंगल है यहाँ पर
कोई फ़न्कार की सुनता नहीं है
नज़र के सामने रहता है लेकिन
कभी हमने उसे देखा नहीं है
आदरणीय कबीर साहब , उम्दा ग़ज़ल हुई है |शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |इस शेर पर विशेष दाद ..वाह...
हमें हक़ के लिये लड़ना पड़ेगा
ये मौक़ा हाथ मलने का नहीं है
सादर अभिनन्दन |
आदरणीय समर कबीर जी , शानदार गज़ल्के लिये बधाइयाँ........
ये आवाज़ों का जंगल है यहाँ पर
कोई फ़न्कार की सुनता नहीं है
नज़र के सामने रहता है लेकिन
कभी हमने उसे देखा नहीं है.........................इन अश'आरों पर विशेष दाद ...............
लाजवाब !! समर भाई , हार्दिक बधाइयाँ ॥
वाकई लाजवाब! बधाई आपको...
आदरणीय समर कबीर भाई ,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है , दिल से बधाई आपको !
bahut hi khoob gazal hui hai .....ik ik sher jaise dil me utarene wala hai ....
"समर" आँखें बदलती जा रही हें
मिरा सपना अभी टूटा नहीं है wallah ......
**
आदरणीय समर कबीर जी वाह वाह.. सभी अशआर बेहतरीन हुए है दिल से दाद कुबूल फरमाए. मतला बेहतरीन हुआ है और मतले से उम्दा मकते तक सब एक से बढ़कर एक अशआर. ये अशआर तो कमाल के है सीधे दिल में उतर गए -
नज़र के सामने रहता है लेकिन
कभी हमने उसे देखा नहीं है
ये दुनिया है संभल कर पाँव रखना
तुम्हारे घर का बाग़ीचा नहीं है
मैं अपनी क़ब्र में लेटा हुआ हूँ
मुझे अब कोई अन्देशा नहीं है
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online