For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक ग़रीब औरत की बेबसी का क़िस्सा है
सादगी समझते हो, सादगी का क़िस्सा है

मैं सुना रहा हूँ और आप मुस्कुराते हैं
थोड़ा सोचकर देखें आप ही का क़िस्सा है

एक था सख़ी हातिम ये वही रिवायत है
मेरे मोहतरम महमाँ ये उसी का क़िस्सा है

एटमी धमाकों का इन पे क्या असर होगा
अब भी इनके मकतब में जलपरी का क़िस्सा है

बुलबुलों के होटों पर गुलशनों की बातें हैं
आदमी के होटों पर आदमी का क़िस्सा है

रोज़ ही वो सुनते थे, पूछ ही लिया इक दिन
किस हसीं की बातें हैं किस गली का क़िस्सा है

-------- समर कबीर
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 13, 2015 at 10:24pm
जनाब मुकेश श्रीवास्तव जी,आदाब,बहुत बहुत शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on February 13, 2015 at 10:21pm
जनाब ख़ुर्शीद जी,आदाब,ज़र्रा नवाज़ी के लिये शुक्रिया |
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on February 13, 2015 at 1:48pm

बुलबुलों के होटों पर गुलशनों की बातें हैं
आदमी के होटों पर आदमी का क़िस्सा  BHUT KHOOB MITRA

Comment by khursheed khairadi on February 12, 2015 at 12:45am

मैं सुना रहा हूँ और आप मुस्कुराते हैं
थोड़ा सोचकर देखें आप ही का क़िस्सा है

एक था सख़ी हातिम ये वही रिवायत है
मेरे मोहतरम महमाँ ये उसी का क़िस्सा है

आदरणीय कबीर साहब उम्दा ग़ज़ल हुई है ,शेर दर शेर दाद कबूल फरमावें |सादर अभिनन्दन |

Comment by Samar kabeer on February 11, 2015 at 10:38pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,बहुत बहुत शुक्रिया अदा करता हूँ,आप के जज़बात जानकर "अमीर मीनाई" का एक शैर आपकी नज़्र करना चाहता हूँ:-
"ख़न्जर चलें किसी पे तड़पते हैं हम "अमीर"
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है" |
Comment by Samar kabeer on February 11, 2015 at 10:28pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,डा.विजय शंकर जी,जनाब हरि प्रकाश दुबे जी,जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,ज़र्रा नवाज़ी के लिये आप सभी हज़रात का बहुत बहुत शुक्रिया |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 11, 2015 at 9:56pm

आदरणीय समर कबीर जी क्या खूब ग़ज़ल कही है गुनगुनाने में आनंद आ गया.... इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 11, 2015 at 8:35pm

आदरणीय समर कबीर साहब ,

इक ग़रीब औरत की बेबसी का क़िस्सा है
सादगी समझते हो, सादगी का क़िस्सा है.....शानदार ! बधाई आपको इस रचना पर !

Comment by दिनेश कुमार on February 11, 2015 at 3:21pm
आदरणीय समर कबीर साहब , क्या कहूँ , शब्द कम पड़ रहे हैं और दिमाग साथ नहीं दे रहा। शायद मैं ज्यादा भावुक हूँ। शब्द सीधे दिल में उतर रहे हैं। कई बार गुनगुना कर पढ़ चुका हूँ, मजा बढ़ता ही जा रहा है।
गुनगुना के जब मैंने आपकी ग़ज़ल देखी
जाने क्या हुआ मुझको आँख मेरी भर आई
इतनी बेहतरीन ग़ज़ल हमारे साथ शेयर करने का बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर जी
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 11, 2015 at 10:47am
बहुत ही रोचक, बधाई , आदरणीय समर कबीर जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service