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मेरी पलकों को......

मेरी पलकों को......एक रचना 

मेरी पलकों को अपने ख़्वाबों की  वजह दे दो
अपनी साँसों में  मेरे जज़्बातों को जगह दे दो

जिसकी  नमी  तुम ये  दामन सजाये बैठी हो
उसके  रूठे  सवालों को जवाबों में जगह दे दो

बंद हुआ  चाहती हैं  अब थकी हुई पलकें मेरी

अपनी तन्हाई में रूहानी रातों  को जगह दे दो 


ये ज़िंदगी तो गुज़र जाएगी तेरे हिज्र के सहारे 

इन हाथों में कुछ रूठे हुए वादों को जगह दे दो

कल का वादा न करो  कि अब न कल आएगा
अपने रुख़्सार पे पिघले लम्हों को जगह दे दो

सुशील सरना

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Comment by Shyam Narain Verma on February 13, 2015 at 11:12am
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 13, 2015 at 6:24am
सुन्दर एवं आकर्षक प्रस्तुति, आदरणीय सुशील सरना जी, सादर।
Comment by maharshi tripathi on February 13, 2015 at 12:53am

सुन्दर रचना ,,,बधाई हो आ.शुशील जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 9:29pm
सुन्दर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई।

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