For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम्हें मालूम है
मुझे हरवक्त तुम्हें ,मेरे साथ होने का
अहसास रहता है
कि कहीं दूर से ही तुम मुझे कोई सहारा दे रही हो
मगर अबकी बार तुमसे मिलकर
मेरा वह अहसासों भरा विश्वास टूटता नजर आया
क्या तुम खुदको मुझसे दूर ले जाना चाहती हो
या दूर ले जा चुकी हो
बहुत दूर
मुझे तुम्हारी हर राहे मुकाम पर
जरूरत होगी
उस वक्त एक सूनापन
मेरे चेतन को अवचेतन करेगा
मेरे सोचने की शक्ति क्षीण हो जायेगी
मेरा शरीर सुन्न होने लगेगा
मेरी धमनियों में धीरे धीरे दौड रही
रक्त की बूँदें
बहुत धीमें स्वरों में तुम्हें पुकारेंगी
क्या तुम सुन पाओगी
उस वक्त का मेरा बिरह-विलाप
नहीं शायद ये सम्भव न होगा
उस आखिरी मुकाम पर पहुँचकर
मेरी पहाडों जैसी बंजड़ आँखें
समन्दर जैसी बेचैन हो उठेंगी
और मेरे चारों तरफ इकट्ठी भीड में
तुम्हें खोज रही होंगी
क्या तुम आ पाओगी
नहीं शायद ये सम्भव न होगा
मेरी खुली हुयी प्यासी पलकों को
अपनी नर्म-नाजुक हथेलियों से
हमेशा हमेशा के लिये
बन्द करने ।।

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on February 18, 2015 at 6:06pm

जितेन्द्र पस्टारिया जी

शुक्रिया साहब

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 16, 2015 at 12:04pm

अंतर्भावों को सुंदर शब्द मिले. बधाई आदरणीय उमेश जी

Comment by umesh katara on February 15, 2015 at 3:59pm

Er. Ganesh Jee "Bagi" जी शुक्रिया


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2015 at 3:30pm

अच्छी अतुकांत रचना आप प्रस्तुत किये हैं आदरणीय उमेश कटारा जी, बधाई स्वीकार करें. साथियों की रचनाएँ आपकी बहुमूल्य टिप्पणी हेतु ललायित हैं.

Comment by umesh katara on February 15, 2015 at 7:43am
Comment by umesh katara on February 15, 2015 at 7:43am

मिथिलेश वामनकर जी शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 15, 2015 at 3:13am

आदरणीय उमेश कटारा जी भावपूर्ण बेहतरीन कविता के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 14, 2015 at 8:50pm

कटारा जी

बहुत बढ़िया i भावपूर्ण कविता i

Comment by umesh katara on February 14, 2015 at 8:41pm

Hari Prakash Dubey जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on February 14, 2015 at 8:41pm

maharshi tripathi जी शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , चित्र के हर बिंदु का आपने रचना में उतार दिया है , बहुत बढ़िया , बहुत बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाई दिए हुए चित्र पर  बहुत सुन्दर छंद रचे हैं आपने ,  पेड़ रहा था सोच, कि…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , हमेशा की तरह आपकी ये क्छ्न्दा रचना भी बहुत बढ़िया हुई है | आपको हार्दिक…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    रोला छंद * सीढ़ी  पर  है  एक, तीन  दीवारों  पर। लगते है शिशु…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी , चित्र के अनुरूप आपकी छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाई  चित्र को बखूबी चित्रित कर रही है आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय बड़े भाई , आभार आपका "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"मिले बहुत दिन बाद, चूस कर खाने वाले, गूदे से मुँह-हाथ, गाल लिपटाने वाले,.....अहा! बहुत सुन्दर…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, रोला छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत-बहुत आभार आदरणीय मयंक जी.. सादर "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service