For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्य की लम्बी उमर हो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122     2122

***************
पाप   का  अवसान  मागूँ
पुण्य  का  उत्थान   मागूँ
**
सत्य  की  लम्बी उमर हो
झूठ  को  विषपान   मागूँ
**
व्यर्थ   है  आकाश  होना
सिर्फ  लधु  पहचान  मागूँ
**
राजपथ  की   राह   नीरस
पथ  सदा  अनजान  मागूँ
**
स्वर्ण   देने   की  न  सोचो
मैं तो  बस  खलिहान मागूँ
**
कोयलों   का   वंश   फूले
आज  यह  वरदान   मागूँ
**
साथ ही पर  काक के हित
इक  मधुर  सा गान मागूँ
**
मिल गए  नवरात  मुझको
उसके हित  रमजान  मागूँ
**
भूल  निश्चित  मानवों  से
इसलिए    अवदान   मागूँ
**
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 805

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:41am


आ0 भाई गुमनाम जी , लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति से मन प्रसन्न हुआ । उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:40am

आ0 भाई महर्षी जी , गजल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:40am

आ0 भाई गिरिराज जी , आपकी उपस्थिति भर से कुछ नया और बेहतर लिखने का नया उत्साह पैदा हो जाता है । उपस्थिति बनाते हुए मार्गदर्शन करते रहें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:40am

आ0 भाई सत्यनारायण जी, भावपूर्ण प्रशंसा के लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:40am

 
आ0 भाई गोपाल नारणन जी , आपकी उपस्थिति से गजल का मान बढ़ा । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2015 at 11:39am

आ0 भाई नीरज मिश्रा जी, गजल की सराहना और अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 1:24am
व्यर्थ है आकाश होना
सिर्फ लघु पहचान मागूँ
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 24, 2015 at 12:43am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल....बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 23, 2015 at 11:10pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, गज़ब ,  संपूर्ण रचना ही सुन्दर है , बधाई आपको ! सादर

Comment by Samar kabeer on February 23, 2015 at 10:57pm
जनाब लक्ष्मण धामी जी,आदाब,छोटी बह्र में बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है,मेरी दुआ है कि आपने जो जो माँगा है सब आपको मिल जाए,मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service