Comment
विजय सर i
शायरी तो दर्द है, इश्क है, हुस्न है,
हुस्न का जिक्र है , हुस्न की फ़िक्र है,
मेहबूबा की बात है, मेहबूबा से बात है,
मेहबूब की आन है , मेहबूब का बयान है.-----बहुत सुन्दर i
आदरणीय विजय शंकर जी ,
हुस्न का जिक्र है , हुस्न की फ़िक्र है,
मेहबूबा की बात है, मेहबूबा से बात है,
मेहबूब की आन है , मेहबूब का बयान है.
आजकी शायरी तो बस तकलीफ़ें ,
बस तकलीफ़ें ही बयाँ करती रहती है,
यूँ तो इश्क,मेहबूब,मेहबूबा भी बस तकलीफें ही देते हैं,
आज तो तकलीफें ही इश्क और माशूक बने बैठे हैं |
क्या खूब लिखा है आपने , शब्द नहीं हैं मेरे पास इस लेखन की तारीफ़ के लिए , बधाई स्वीकार करें सर।
यूँ ही शोर मचाओगे तो कहाँ से दाद पाओगे ,
उसके लिए तो मियाँ अदा चाहिए ,
शेर शेर के लिए , सदा चाहिए ,....वाह बहुत खूब कहा है आपने आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई सर आपको ! सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online