मदिरा सवैय्या (7 भगण +गुरु ) कुल वर्ण 22
चेतन-जंगम के उर में अविराम सुधा सरसावत है
रंग भरे प्रति जीवन में हिय आकुल पीर बढ़ावत है
बालक वृद्ध युवा सबके यह अंतस हूक जगावत है
पावन है मन-भावन है रुत फागुन की मधु आवत है
सुमुखी सवैय्या (7 जगण +लघु+गुरु ) कुल वर्ण 23
मरोर उठी वपु में जब से यह लक्षण भेद बताय गयी
सयान सबै सनकारि उठे तब भावज भी समुझाय गयी
हुयी अब बावरि वात अनंग अनीक अली नियराय गयी
मथै मन मन्मथ वेगि सखी सु सुहावनि सी रुत आय गयी
दुर्मिल सवैय्या ( 8 सगण ) कुल वर्ण 24
हुरियार चले सब चंग बजावत नाचत–गावत भंग पिये
मदमस्त सबै लहराय रहे कछु धावत है मिरदंग लिये
कछु पंकज-लोलुप घूम रहे निज लोचन आतुर भृंग किये
अब खेल हमें लगता सब है वह जो हमने बहुरंग जिये
किरीट सवैय्या (8 भगण ) कुल वर्ण 24
देवर खेलन होरि चले कर रंग लिये घट में मन भावन
भावज का पट लाल करूं मन में यह भाव लिये अति पावन
बादल दूं बरसा अपने घर रंग महा रस का मधु सावन
भावज ने पकडे तब कान लगी घर आँगन नाच नचावन
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आ० वामनकर जी
आपके स्नेह से अभिभूत हूँ i सादर i
प्रिय सोमेश
आपका बहुत बहुत आभार i पर प्रिय मैंने कोई आडिओ या वीडिओ पोस्ट नहीं किया हैं i सप्रेम i
आ 0 हरि प्रकाश जी
आपके स्नेह का आभार i सादर i
आ० गुमनाम पिथौरागढ़ी जी
आपका सप्रेम आभार i
प्रिय निर्मल नदीम जी
आज के दौर में भी मै छान्दसिक रचनाये करता हूँ i सस्नेह i
आदरणीय गोपाल नारायनजी आपने तो सवैयों की बाढ़ ला दी है !!
सवैये भी क्या मन एक्दम से फागुन-फागुन हो गया है. चार तरह के सवैया-छन्दों से फागुन को समेटने का प्रयास मन प्रसन्न कर रहा है. सुमुखी सवैया की कहन तो बार-बार पढ़ने को उकसा रही है ! दृश्य पर क्या ही महीन भाव अठखेलियाँ कर रहे हैं !
आदरणीय, सवैयों पर प्रयास करने वाले कम ही रचनाकार हैं, अतः इस प्रस्तुति को हृदय से सम्मान दे रहा हूँ.
इस छान्दसिक प्रयास के लिए आपको बार-बार बधाइयाँ.
रंग भरे प्रति जीवन में हिय आकुल पीर बढ़ावत है............ रंग भरे हर जीवन के हिय आकुल पीर बढ़ावत है
पावन है मन-भावन है रुत फागुन की मधु आवत है.............. पावन है मन-भावन है जग, फागुन की ऋतु आवत है
भावज का पट लाल करूं मन में यह भाव लिये अति पावन....... यह भाव पावन ? .. ;-))
सादर
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर सशक्त रचनायें हैं अलग अलग सवैये के रूप में आपने होली के विविध रूपों को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है बहुत बहुत बधाई आपको।
आदरणीय बड़े भाई , मै क्या तारीफ करूँ , बस पढ के मगन , मुग्ध हूँ । आदरणीय सोमेश भाई जी के कहे का मै भी अनुमोदन कर रहा हूँ , छंद पाठ का आडियो संभव हो तो पोस्ट अवश्य करें , सुन के और आनन्द आयेगा ॥ आपको इन छ्न्दों के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥
मरोर उठी वपु में जब से यह लक्षण भेद बताय गयी
सयान सबै सनकारि उठे तब भावज भी समुझाय गयी
हुयी अब बावरि वात अनंग अनीक अली नियराय गयी
मथै मन मन्मथ वेगि सखी सु सुहावनि सी रुत आय गयी
आदरणीय गोपालनारायण सर ,सवैयों से परिचय और वो भी आपके सरस छंदों के माध्यम से ,save करके अपने संग्रह में लेने का मोह नहीं छोड़ पा रहा हूं (नेट की उत्कृष्ट रचनाओं की अपनी फाइल )|इतने सरस भावपूर्ण और श्लील और रंगीले सवैयों के लिए आपको बहुत बहुत बधाई |सादर अभिनन्दन |
फाल्गुन के सुंदर और मन भावन सवैयें पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया और होली की रंगत का अहसास होने लगा | बहुत बहुत बधाई डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
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