दिवस तीस औ पक्ष दो, छह रितु बारह मास।
होली उत्सव को सभी, बता रहे हैं खास।१।
आता समता को लिए, होली का त्यौहार।
सारे जग को बांटता, नेह भरा उपहार ।२।
खुशियाँ खूब उलीचता, फाल्गुन पूनम रात।
ख़ुशी साल भर ना खले, यही सोच मन बात।३।
चटख रंग टेसू खिला, बौरी अमिया डाल।
मादक महुआ संग मिल, मौसम करे धमाल।४।
रंग कर्म औ रंग का, जब हो सम्यक ग्यान।
तब मन रंगीला करे, रंगनाथ का ध्यान।५।
फबे मेंहदी सावनी, फागुन उड़े गुलाल।
इक कर गोरी रंगता , दूजा गोरी गाल।६।
धरा सावनी चूनरी, ओढ़ करे अनुराग।
ओढ़ वसंती फाल्गुनी, धरा खेलती फाग।७।
ऋतुओं के ऋतुराज का, यह मौसम है ख़ास।
जन मानस जिसमे बसे, वह है फागुन मास।८।
आग राग मन में जगे, मनता तब है फाग।
दुष्ट भाव मन के जलें, लगे प्रेम का दाग।९।
मिलन खिलन का पर्व है, होली का त्यौहार।
रंग बिखेरे फूल खिल, प्रियतम से मिल प्यार।१०।
- मौलिक व् अप्रकाशित
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सादर आभार आदरणीय जितेन्द्र जी
सादर आभार आदरणीय
आदरणीय सत्यनारायणजी बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई आपको ! सादर
फाग पर बहुत सुंदर दोहे रचे आपने, आदरणीय. बधाई व् शुभकामनायें
दिवस तीस औ पक्ष दो, छह रितु बारह मास।
होली उत्सव को सभी, बता रहे हैं खास।१।............ बहुत खूब ! पहला पद बढिया कौतुक कररहा है !
आता समता को लिए, होली का त्यौहार।............... आता है समता लिए..
सारे जग को बांटता, नेह भरा उपहार ।२।.
खुशियाँ खूब उलीचता, फाल्गुन पूनम रात।
ख़ुशी साल भर ना खले, यही सोच मन बात।३।.......... दूस्रे पद को काश तनिक और समय दिया जाता.
चटख रंग टेसू खिला, बौरी अमिया डाल।
मादक महुआ संग मिल, मौसम करे धमाल।४।............ वाह वाह वाह ! धूम मच गयी, आदरणीय !
रंग कर्म औ रंग का, जब हो सम्यक ग्यान।
तब मन रंगीला करे, रंगनाथ का ध्यान।५।.............. .. रंगीला सही अक्षरी न हो कर रँगीला सही अक्षरी है.
फबे मेंहदी सावनी, फागुन उड़े गुलाल।
इक कर गोरी रंगता , दूजा गोरी गाल।६।..................... वाह !
धरा सावनी चूनरी, ओढ़ करे अनुराग। ............... ... चूनरी को चुनरी लिखना उचित है.
ओढ़ वसंती फाल्गुनी, धरा खेलती फाग।७।.................... सुन्दर दोहा हुआ है.
ऋतुओं के ऋतुराज का, यह मौसम है ख़ास।
जन मानस जिसमे बसे, वह है फागुन मास।८।............ इस दोहा को तनिक और समय देना था, आदरणीय.
आग राग मन में जगे, मनता तब है फाग।
दुष्ट भाव मन के जलें, लगे प्रेम का दाग।९।.................. प्रेम का दाग बहुत अच्छा लक्षण नहीं प्रस्तुत कर पाया आदरणीय.
मिलन खिलन का पर्व है, होली का त्यौहार।
रंग बिखेरे फूल खिल, प्रियतम से मिल प्यार।१०।............... :-))
दोहों में ग़ज़ब की संप्रेषणीयता है आदरणीय सत्यनारायणजी. इन दोहों पर हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकारें.
होली की अतिशय बधाइयाँ
सादर
वाह आदरणीय सत्यनारायण जी आपकी दोहावली के क्या कहने बस रंग जमा दिया आपने बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये
आदरणीय सत्यनारायण भाई , दस के दस दोहे बहुत सुन्दर रचे हैं , वाह ! आनन्द आ गया पढ़ के । हार्दिक बधाइयाँ ॥
आदरणीय सत्यनारायणजी बहुत सुन्दर दोहावली है
खुशियाँ खूब उलीचता, फाल्गुन पूनम रात।
ख़ुशी साल भर ना खले, यही सोच मन बात।३।
चटख रंग टेसू खिला, बौरी अमिया डाल।
मादक महुआ संग मिल, मौसम करे धमाल।४।
रंग कर्म औ रंग का, जब हो सम्यक ग्यान।
तब मन रंगीला करे, रंगनाथ का ध्यान।५।
फबे मेंहदी सावनी, फागुन उड़े गुलाल।
इक कर गोरी रंगता , दूजा गोरी गाल।६।
हार्दिक बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |
बसंत ऋतू के प्रमुख त्यौहार होली के रंग बिखेरते स्नेह भाव से रचे सुंदर और सार्थक दोहों के लिए हार्दिक बधाई श्री सत्यनारायण सिंह जी
होली पर इस सुन्दर सीख पर आपको बधाई आ.सत्यनारायण जी |
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