2212 2212
तू मुस्करा के देख ले
दिल से लगा के देख ले
झुकना नहीं मंजूर अब
कोई झुका के देख ले
है नाम तेरे जिन्दगी
बस आजमा के देख ले
ये खेल है दिलकस बहुत
बाजी लगा के देख ले
बुझते मुहब्बत के चिराग
अब तो जला के देख ले
कोई नहीं हमसा यहाँ
नजरें घुमा के देख ले
मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा
Comment
आदरणीय उमेश भाई जी छोटी बह्र में बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी शुक्रिया
आ० कटारा जी
छोट्टी बहर में क्या अच्छा कहा . वाह .
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी शुक्रिया
आदरणीय Nirmal Nadeem जी शुक्रिया
KYA BAAT HAI WAAAAH WAAH BAHUT KHOOOB
BADHAI
आदरनीय उमेश भाई , खूब सूरत ग़ज़ल के उम्दा अश आर के लिये दिली मुबारकबाद कुबूल करें ॥
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