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गीत / नवगीत - क्या ये मेरा वही गाँव है --- गिरिराज भंडारी

क्या ये मेरा वही गाँव है

***********************

क्या ये मेरा वही गाँव है

सूरज अलसाया निकला है

मुर्गा बांग नहीं देता है 

नहीं यहाँ चिड़ियों की चीं चीं

ना कौवे की काँव काँव है

 

क्या ये मेरा वही गाँव है

 

दो पहरी सोई सोई है

दिवा स्वप्न में कुछ खोई है

यहाँ धूल में सनी उदासी

चौराहों के थके पाँव है

 

क्या ये मेरा वही गाँव है

 

गुम्बद भी है सूना सूना

मीनारों का है दुख दूना

चौपालों मे बढ़ी सियासत

अब बरगद में कहाँ छाँव है

 

क्या ये मेरा वही गाँव है

 

 

गोधूली में धूल नहीं है

कोई क्यारी फूल नहीं है

गाँव-गली में शहर चीखता

बीच भँवर में फँसा गाँव है

 

क्या ये मेरा वही गाँव है

 

 

नदी ताल  है सूने सूने

घट पनिहारिन के हैं ऊने

खुद के लाये तूफानों में

पास किनारे फँसी नाव है

क्या ये मेरा वही गाँव है

 

फ्रिज टीवी मोबाइल आई

संस्कृति बाहर की समझाई

परंपरायें पूछ रहीं है

क्या ये अपना वही ठाँव है

 

क्या ये मेरा वही गाँव है

***********************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

 

 

Views: 706

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2015 at 9:42am

आदरणीय मिथिलेश भाई , सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2015 at 9:42am

आदरणीय कृष्णा भाई , हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2015 at 9:41am

आदरणीय सौरभ भाई , शिल्प और भाव दशा में पास हो के बहुत अच्छा लगा । आगे पूरा पास होने का प्रयास करूँगा ॥ उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2015 at 9:39am

आदरणीया सविता जी , सराहना के लिये आपका आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2015 at 9:38am

आदरणीय डा.विजय शर्मा भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 14, 2015 at 7:24am
आदरणीय गिरिराज सर बहुत सुन्दर नवगीत हुआ है हार्दिक बधाई।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 13, 2015 at 10:54pm

गोधूली में धूल नहीं है

कोई क्यारी फूल नहीं है

गाँव-गली में शहर चीखता

बीच भँवर में फँसा गाँव है

ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आई,बेहतरीन गीत पर बधाई आदरणीय!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 13, 2015 at 11:46am

क्या ये मेरा वही गाँव है ? इसका प्रश्न का उत्तर उत्साहित नहीं करता.

शिल्प की दृष्टि से अच्छी और भाव-दशा से एक संवेदनशील रचना हुई है, आदरणीय गिरिराजभाई.

बधाइयाँ

Comment by savitamishra on April 13, 2015 at 10:42am

बहुत सुंदर गीत.....आदरणीय भैया सादर नमस्ते 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on April 13, 2015 at 9:33am

आ. गिरिराज भाई,
वर्तमान गाओं की तल्ख़ सच्चाई जाहिर करती नवगीत के लिए बहुत बधाई-यह कहना पड़ता है नहीं ये मेरा नहीं गाओं है.

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