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बंटवारे का कारण (लघुकथा)

"माननीय न्यायाधीश महोदय, मेरे बाहर जाने का फायदा उठा कर, मेरे छोटे भाई ने घर के बीच की दीवार बनाते समय मेरी तरफ छः इंच ज्यादा खींच ली, और मेरे भाग पर कब्ज़ा कर लिया|"

"नहीं आदरणीय महोदय, जो स्थान मैनें लिया, उस पर मेरा ही अधिकार है|"

"यह दीवार कब बनायी गयी?" न्यायाधीश महोदय ने पूछा

"एक माह पूर्व हमारे पिताजी की मृत्यु के कुछ दिनों के बाद|"

"बंटवारा किसने करवाया?"

"हमारे चाचाजी ने|"

"चाचाजी की बात क्या पिताजी भी मानते थे?"

"नहीं, पिताजी के समय तो वो हमारे घर ही कम आते थे|"

"फिर उनकी बात किसने मानी?"

दोनों भाइयों ने एक दूसरे की ओर इशारा कर दिया, लेकिन दोनों की आँखें झुकी हुईं थी|

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 4, 2015 at 9:10pm

आदरणीय गुरूजी योगराज प्रभाकर जी सर के चरण स्पर्श, जिन्होंने इस लघुकथा को लिखने के लिए प्रेरित किया और उनके eternal आशीर्वाद और मार्गदर्शन के लिए !!

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 4, 2015 at 9:08pm

आप सभी सुधीजनों के आशीर्वाद  हेतु हृदय से आभारी हूँ  आदरणीय राजेश कुमार जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, भाई जितेन्द्र पस्टारिया जी, आदरणीय  विजय निकोरे जी 

Comment by vijay nikore on May 4, 2015 at 2:58pm

लघुकथा अच्छी लगी, हार्दिक बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 11:18am

बस! यही सब कुछ प्रमुख कारण है अदालतों में फाइलें बढ़ने के. बहुत खूब आदरणीय चंद्रेश भाई जी. हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2015 at 2:20pm

अच्छी लघुकथा के लिए बधाई, आदरणीय चन्द्रेशजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2015 at 9:45am

बहुत अच्छी लघु कथा ,,हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 3, 2015 at 9:17am

रचना को पसंद करने के लिये हृदय से आभारी हूँ आदरणीय  नीलेश जी सर, आदरणीय महिमा श्री जी, आदरणीय  मिथलेश वामनकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 10:00pm

सफल लघुकथा हेतु बधाई निवेदित है 

Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 5:30pm

बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति.. बहुत -2 बधाई आपको

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 2, 2015 at 4:28pm

संवाद में सन्देश दे गए ..बहुत खूब 

कृपया ध्यान दे...

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