For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बंटवारे का कारण (लघुकथा)

"माननीय न्यायाधीश महोदय, मेरे बाहर जाने का फायदा उठा कर, मेरे छोटे भाई ने घर के बीच की दीवार बनाते समय मेरी तरफ छः इंच ज्यादा खींच ली, और मेरे भाग पर कब्ज़ा कर लिया|"

"नहीं आदरणीय महोदय, जो स्थान मैनें लिया, उस पर मेरा ही अधिकार है|"

"यह दीवार कब बनायी गयी?" न्यायाधीश महोदय ने पूछा

"एक माह पूर्व हमारे पिताजी की मृत्यु के कुछ दिनों के बाद|"

"बंटवारा किसने करवाया?"

"हमारे चाचाजी ने|"

"चाचाजी की बात क्या पिताजी भी मानते थे?"

"नहीं, पिताजी के समय तो वो हमारे घर ही कम आते थे|"

"फिर उनकी बात किसने मानी?"

दोनों भाइयों ने एक दूसरे की ओर इशारा कर दिया, लेकिन दोनों की आँखें झुकी हुईं थी|

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 4, 2015 at 9:10pm

आदरणीय गुरूजी योगराज प्रभाकर जी सर के चरण स्पर्श, जिन्होंने इस लघुकथा को लिखने के लिए प्रेरित किया और उनके eternal आशीर्वाद और मार्गदर्शन के लिए !!

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 4, 2015 at 9:08pm

आप सभी सुधीजनों के आशीर्वाद  हेतु हृदय से आभारी हूँ  आदरणीय राजेश कुमार जी, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, भाई जितेन्द्र पस्टारिया जी, आदरणीय  विजय निकोरे जी 

Comment by vijay nikore on May 4, 2015 at 2:58pm

लघुकथा अच्छी लगी, हार्दिक बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 11:18am

बस! यही सब कुछ प्रमुख कारण है अदालतों में फाइलें बढ़ने के. बहुत खूब आदरणीय चंद्रेश भाई जी. हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2015 at 2:20pm

अच्छी लघुकथा के लिए बधाई, आदरणीय चन्द्रेशजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2015 at 9:45am

बहुत अच्छी लघु कथा ,,हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on May 3, 2015 at 9:17am

रचना को पसंद करने के लिये हृदय से आभारी हूँ आदरणीय  नीलेश जी सर, आदरणीय महिमा श्री जी, आदरणीय  मिथलेश वामनकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 10:00pm

सफल लघुकथा हेतु बधाई निवेदित है 

Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 5:30pm

बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति.. बहुत -2 बधाई आपको

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 2, 2015 at 4:28pm

संवाद में सन्देश दे गए ..बहुत खूब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service