“साहब एक जरूरी बात करनी है !”
“देख नहीं रहे हो कितना व्यस्त हूँ ,अभी मेरे पास किसी भी बात के लिए समय नहीं है,जाओ बाद में आना !”
“पर साहब लगता है आपकी पत्नी के पास भी समय नहीं है, उनका अभी कुछ देर पहले ही एक्सिडेंट हो गया है, और मैं उनको अस्पताल में.. और उनके पर्स से आपका विजिटिंग कार्ड मिला, आपका फ़ोन बंद था ,तभी मुझे अपने सब काम छोड़कर आपको बताने आना पड़ा !”
“अरे भाईसाहब जल्दी ले चलो मुझे आपका बहुत एहसान होगा !”
“समय की परिभाषा बदल चुकी थी !”
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
समय के साथ समय बदल जाता है , बहुत सुन्दर लघुकथा आदरणीय..
आदरणीय हरी प्रकाश भाई बहुत सुन्दर रचना, .सादर बधाई ....
"ये एक शाश्वत सत्य है की समय की परिभाषा समय के साथ अक्सर बदल जाती है! "
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