For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये मय भी कडवी है सच की तरह

१२१  २२ १२१  २२

यूं कतरा कतरा शराब पीकर

हैं जिन्दा अब तक जनाब पीकर

सवाल मुश्किल थे जिन्दगी के

मगर दिए सब जवाब पीकर

ये मय लगी  कडवी सच के जैसी 

न कह सका मैं  ख़राब पीकर

पहाड़ सीने पे दर्दो गम के

नहीं रहा कोई दवाब पीकर

जिन्हें मयस्सर न रोटियाँ थीं 

वो बन गए थे  नवाब पीकर

था खौफ आँखों में डूबने का

हटाया रुख से नकाब पीकर

बिना पिए ही था जो क़यामत

मचल उठा वो शबाब पीकर

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 21, 2015 at 10:17am

आदरणीय वीनस जी ..आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हमेशा ही नया सीखने को मिलता है रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से धन्यवाद सादर 

Comment by वीनस केसरी on May 16, 2015 at 1:18am

नहीं रहा कोई दवाब पीकर

इस मिसरे के अतिरिक्त पूरी ग़ज़ल बेहतर हुयी है ...... कोई को २२, १२, २१ तीन तरह से बाँधा जा सकता है आपने २ मात्रा में बाँध लिया है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:18am

आदरणीय श्री सुनील जी ..रचना पर आपकी उर्जा देती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:17am

आदरणीय केवल भाई जी   रचना आपको पसंद आयी ..आपके इन शब्दों से मेरा उत्साह  बढ़ा है ..सादर धन्वाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:15am

आदरणीय समर कबीर जी .गलती से दवाब लिख गया आदरणीय सौरभ सर और आदरणीय वीनस जी भी मुझे कई बार इस तरह की गलतियों के लिए सचेत कर चुके हैं  क्षमा प्रार्थी हूँ इस ज़ल्दबाजी के लिए ..कभी यदि आगे ऐसी भूल हो जाए तो आप मुझे इसी तरह सचेत करियेगा ..आपके मार्गदर्शन और प्रतिक्रिया के लिए पुनः धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 6:10am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब आप सही कह रहे हैं दबाव की जगह गलती से दवाब हो गया ,,मशविरे के लिए हार्दिक धन्यवाद रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए आपको धन्यवाद सादर प्रणाम के साथ 

Comment by shree suneel on May 13, 2015 at 11:18pm
सवाल मुश्किल थे जिन्दगी के
मगर दिए सब जवाब पीकर/
वाहह...आदरणीय आशुतोष जी, ख़ूबसूरत शे'र. अच्छी ग़ज़ल कही आपने. बधाई आपको
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2015 at 8:43pm

आ0 आशुतोष भाई जी, गज़ल अच्छी लगी. दिली दाद कुबूल करे. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 13, 2015 at 6:46pm

आदरनीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

आ. समर भाई जी सही कह रहे हैं शायद आप दबाव कहना चाह रहे हैं चौथे शे र में म देख लीजियेगा ॥

Comment by Samar kabeer on May 13, 2015 at 6:19pm
जनाब डॉ आशुतोष मिश्रा जी ,आदाब,आपने लिखा है "दवाब" ,एक शब्द होता है "दबाव" ,क्या आपने दबाव को ही दवाब लिखा है या ये कोई और शब्द है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service